पलामू: कोरोना वायरस ने पूरे मानव प्रजाति को संकट में डाल दिया है. इस वायरस से बचने के लिए 24 को लॉकडाउन की घोषणा की गई थी. ताकि लोग अपने घरों में रहें और बीमारी का फैलाव ना हो. लॉकडाउन के कारण जंगली क्षेत्रों में मानव प्रजाति का हस्तक्षेप कम हुआ है. इसी का नतीजा है कि प्रकृति अपनी खूबसूरती दिखा रही है. जंगली जीव स्वछंद विचरण कर रहे हैं.
लॉकडाउन के दौरान कई क्षेत्रों में जंगली जीव अपने आशियाने की ओर लौट रहे हैं. साथ ही उनकी संख्या भी बढ़ रही है. लगभग 1150 किलोमीटर स्क्वायर में फैले पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान बड़ा बदलाव आया है. कहीं से भी हाथी और मनुष्यों के बीच संघर्ष की घटना सामने नहीं आई है. बता दें कि पलामू टाइगर रिजर्व एशिया के बड़े टाइगर रिजर्व में एक है.
गर्मी में भी जंगल से नहीं निकल रहे हाथी
पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच कहीं भी संघर्ष नहीं हुआ. टाइगर रिजर्व के बीचों-बीच दुबियाखाड़ से नेतरहाट तक हाइवे है. हाइवे पर अक्सर हाथी और आदमी की बीच संघर्ष की घटना होती थी, जो कुछ दिनों से थमी हुई है. पलामू टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में कहीं भी आदमी और हाथी के बीच संघर्ष नही हुई है. वे बताते है कि काफी वर्षों के बाद बेतला के इलाके में हाथियो का झुंड रुका है. अब जीव रोड के दोनों तरफ आसानी से आने-जाने लगे हैं.
गाड़ियों का परिचालन हाथी को करता है प्रभावित
लॉकडाउन के दौरान हाथी और आदमी के बीच संघर्ष नहीं होने के पीछे हाइवे पर वाहनों का परिचालन नहीं होना बताया जा रहा है. डायरेक्टर वाईके दास बताते है कि गाड़ियां हाथी को प्रभावित करती हैं. उनको इरिटेट करती हैं और गुस्सा दिलाती हैं. लॉकडाउन में यह सब बंद है. नतीजा है कि हाथी जंगल छोड़कर गांव की ओर नहीं जा रहे हैं.