पलामूः एशिया का प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में ठंड के शुरुआत के साथ दुर्लभ साइबेरियन पक्षियों के चहचहाहट से गुलजार हो गया है. साइबेरिया के इलाके से कई दुर्लभ पक्षी हजारों किलोमीटर का सफर तय कर पीटीआर के कमलदह झील के इलाके में पहुंचे हैं.
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इस दुर्लभ साइबेरियन पक्षियों में Northern Pinatail, Lesser Whistling Duck, Cotton Pigmy Goose, भारतीय पनडुब्बी यानी Little Grebe, Bare Head Goose, Water Hen, Comman Poch जैसी पक्षियों का जमावड़ा पीटीआर के कमलदह झील के इलाके में लगा हुआ है. पलामू टाइगर रिजर्व निदेशक कुमार आशुतोष बताते हैं कि ठंड की शुरुआत के साथ साइबेरियन पक्षियों का पीटीआर के इलाके में आगमन शुरू हो जाता है. कोविड-19 काल के बाद कई ऐसे दुर्लभ प्रजाति की पक्षियां इलाके में पहुंच रही हैं. उन्होंने बताया कि इस बार विशेष सर्वेक्षण किया जाएगा कि कौन-कौन से नई प्रजाति के पक्षी पहली बार पीटीआर के इलाके में पहुंची है.
पीटीआर के इलाके में 180 से अधिक प्रकार के पक्षी है मौजूदपलामू टाइगर रिजर्व सिर्फ बाघों के लिए ही चर्चित नहीं है बल्कि इस इलाके में 180 प्रकार के विभिन्न पक्षी भी पाए जाते हैं. पीटीआर के इलाके में तोता और बगेरी काफी संख्या में है. साइबेरियन पक्षी प्रत्येक वर्ष ठंडे में प्रजनन के लिए इस इलाके में आती है. नवंबर के मध्य सप्ताह में यह पीटीआर के कमलदल झील और पलामू किला के आसपास पंहुचती है.
साइबेरियन Lesser Whistling Duck ये सभी पक्षियां मार्च के पहले सप्ताह तक रुकती हैं, उसके बाद वापस चली जाती हैं. साइबेरिया से चलकर ओड़िशा के चिल्का लेक तक जाने वाले साइबेरियन पक्षी भी कुछ समय के लिए पीटीआर में रुकती हैं. पलामू टाइगर रिजर्व किला के क्षेत्र में कोयल, औरंगा, बूढ़ा समेत आधा दर्जन छोटी-बड़ी नदियां हैं. इन नदियों में भी साइबेरियन पक्षी अपना डेरा डालती हैं.
रांची से 190 किलोमीटर की दूरी पर पक्षियों का जमावड़ा
पलामू टाइगर रिजर्व के कमलदह का इलाका झारखंड की राजधानी रांची से करीब 190 किलोमीटर दूर है. प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर से इसकी दूरी 30 किलोमीटर है. कोविड 19 काल के बाद एक बार फिर से पर्यटन गतिविधि बढ़ गई है.
कमलदाह झील में साइबेरियन पक्षी