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पंचायतें सुना रहीं तालीबानी फरमान, फैसले के बाद किसी ने की आत्महत्या, तो किसी का हुआ मर्डर - पंचायत एक तरफा फैसला

पलामू में एक वो दौर था जब नक्सली अपनी जनअदालत लगाते थे और लोगों को सजा देते थे. अब वो दौर तो खत्म हो गया, लेकिन उस जनअदालत की जगह समाजिक पंचायतों ने ले ली. ये पंचायतें उटपटांग सजा देते हैं, जिसके बाद ना सिर्फ हिंसक घटनाएं हो रही हैं, बल्कि कई लोग आत्महत्या कर कर चुके हैं.

Panchayat in Palamu
Panchayat in Palamu

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Published : Aug 26, 2022, 7:22 PM IST

Updated : Aug 26, 2022, 9:13 PM IST

पलामू:एक वक्त था जब पलामू के नक्सली संगठन जनअदालत लगा कर अपना फैसला सुनाया करते थे. नक्सल संगठनों का वह दौर अब खत्म हो गया, लेकिन उनकी जगह सामाजिक पंचायतें अब जनअदालत की तरफ फैसला सुनाने लगी हैं (Panchayat in Palamu is delivering Talibani decisions). ताजा मामले में पलामू के रामगढ़ थाना क्षेत्र में एक विवाहिता को ग्रामीणों ने उसकी प्रेमिका के साथ पकड़ लिया था. जिसके बाद नक्सलियों की जनअदालत की तरह ही दोनों के हाथ पैर बांधकर पिटाई की गई थी. पंचायत के फैसले का नतीजा यह हुआ कि विवाहिता की हत्या कर दी गई.

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पलामू में 2016-17 के बाद इस तरह समाजिक पंचायतों ने कानूनों को अपने हाथ मे लेना शुरू किया है. सामाजिक पंचायतों द्वारा कानून को हाथ लिए जाने के बाद हिंसक घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है. पलामू के रहने वाले डॉक्टर मंजूर आलम ने कहा कि पंचायत के फैसले के बाद लोग आत्महत्या कर रहे हैं, यह बेहद ही गंभीर मामला है. गढ़वाल लातेहार खिला के में दुष्कर्म, यौन शोषण, प्रेम प्रसंग जैसे मामले में अधिकतर सामाजिक पंचायत लगाई जा रही है.

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आम तौर पर पंचायत एक तरफा फैसला सुनाते हैं. कई बार इनके फैसलों के बाद मामला आत्महत्या तक पंहुच जाता है. पलामू के रामगढ़ जिला के में अगस्त 2021 में भरी पंचायत में दुष्कर्म पीड़िता को बदचलन साबित कर 40 हजार का जुर्माना लगाया गया था, जिसके बाद लड़की के पिता ने आत्महत्या कर ली थी. पलामू के पांकी थाना क्षेत्र में कुछ महीने पहले सामाजिक पंचायत में महिला को डायन कहा गया था. पलामू के तरहसी के इलाके के में दुष्कर्म के मामले में पंचायत हुई थी और आरोपियों पर जुर्माना लगाया था और समझौता करवाया गया. हैदरनगर के परता से पंचायत समिति सदस्य गुप्तेश्वर पांडे ने बताया कि पंचायत में द्वारा कानून को अपने हाथ में लिया जाना बेहद निंदनीय है. उन्होंने बताया कि पंचायतों के द्वारा छोटे-मोटे विवादों का ही निबटारा किया जाना चाहिए, ना की आपराधिक घटनाओं का.



2017- 18 में पलामू के पाटन के इलाके में कानून को अपने हाथ में लेने पर पंचायत करने वाले करीब 125 लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई. उस दौरान पुलिस व्यवस्था लागू की थी, कि गांव में किसी भी तरह की सामाजिक पंचायत होने पर जानकारी पुलिस को उपलब्ध करवानी है. हालांकि सामाजिक पंचायतें इस तरह का कदम नहीं उठा रही हैं. पुलिस और प्रशासनिक तंत्र को किसी भी तरह की जानकारी नहीं दी जा रही है. पंचायत के फैसले के बाद हिंसक घटनाओं के बाद पूरे मामले का खुलासा होता. पलामू रेंज के डीआईजी राजकुमार लकड़ा ने बताया कि थाना स्तर पर कई विवादों का निबटारा काउंसिलिंग से किया जाता है, लेकिन पंचायतें जो कानून अपने हाथ में ले रही है उनके खिलाफ पुलिस सख्त कार्रवाई करेगी.

Last Updated : Aug 26, 2022, 9:13 PM IST

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