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पीटीआर में कम क्यों हुई बाघों की संख्या? जांच के लिए कैंप कर रही NTCA की टीम - पलामू समाचार

पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) के इलाके में लगातार बाघों की संख्या कम हो रही है. 2018 में हुई जनगणना में पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी. इन इलाकों में बाघों की संख्या कम क्यों हुई इसकी जांच करने के लिए NTCA की टीम चार दिनों से कैंप कर रही है.

Palamu Tiger Reserve
पलामू टाइगर रिजर्व

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Published : Nov 18, 2021, 9:40 PM IST

पलामू: एशिया का प्रसिद्ध पलामू टाइगर रिजर्व (Palamu Tiger Reserve) के इलाके में बाघों की संख्या कम होने के मामले की जांच शुरू हो गई है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी (NTCA) की टीम ने जांच शुरू की है. नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी की एक टीम पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में पिछले चार दिनों से कैंप कर रही है. टीम का नेतृत्व रिटायर्ड पीसीसीएफ शैलेश कुमार कर रहे हैं. जबकि इस टीम में एनटीसीए के एआईजीएफ हेमंत कुमार और वैज्ञानिक उज्ज्वल भी शमिल हैं. अधिकारियों की यह टीम पीटीआर के विभिन्न इलाकों का जायजा ले रही है.


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एनटीसीए की टीम ने पलामू टाइगर रिजर्व के मंडल, बारेसाढ़, मारोमार, गारु, महुआडांड़, हेनार समेत कई इलाकों का जायजा लिया. अधिकारियों की एक टीम पता लगा रही है कि पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या क्यों कम हो रही है. पीटीआर का हैबिटेट बाघों के लिए पूरे इंडिया में सबसे बेस्ट है. बावजूद यहां बाघों की संख्या शून्य तक पहुंच गई थी. फरवरी 2020 के बाद से करीब एक हफ्ते पहले पीटीआर के बारेसाढ़ साल के इलाके में एक बाघ देखा गया है. एनटीसीए की टीम ने बाघों के बारे में पूरी जानकारी ली है और पीटीआर के अधिकारियों से रिपोर्ट भी मांगी है. पीटीआर के अधिकारियों से रिपोर्ट मांगी गई है कि बाघों की संख्या कैसे कम हो गई.




बाघों की गिनती के तरीकों पर समीक्षा

पूरे देश में बाघों की गिनती जारी है. पलामू टाइगर रिजर्व के इलाके में भी बाघों की गिनती शुरू हुई है और कई इलाकों में ट्रेकिंग कैमरे लगाए गए हैं. NTCA की टीम ने बाघों की गिनती को लेकर अधिकारियों से कई बिंदुओं पर जानकारी ली. अधिकारियों ने कई स्थानों पर ट्रैकिंग कैमरा लगाने के निर्देश दिए हैं. वहीं NTCA की टीम कई इलाकों में ट्रेकिंग कैमरा नहीं दिखने से नाराज हो गए.

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पलामू टाइगर रिजर्व से पहली बार शुरू हुई थी बाघों की गिनती

पलामू टाइगर रिजर्व से ही पूरे देश में पहली बार बाघों की गिनती शुरू हुई थी. 1974 में पलामू टाइगर प्रोजेक्ट शुरू हुआ था तो बताया गया था कि पीटीआर में 50 बाघ हैं. 2005 में जब बाघों की गिनती हुई तो बाघों की संख्या घटकर 38 हो गई. 2007 में जब फिर से गिनती हुई तो पता चला कि पलामू टाइगर प्रोजेक्ट में 17 बाघ हैं. जबकि 2009 में वैज्ञानिक तरीके से बाघों की गिनती शुरू हुई तो बताया गया कि सिर्फ आठ ही बाघ इलाके में बचे हुए हैं. उसके बाद से कोई भी नया बाघ रिजर्व एरिया में नही मिला. 2018 में हुई जनगणना में पीटीआर के इलाके में बाघों की संख्या शून्य बताई गई थी.

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