पलामूः माओवादियों ने साल 2021 को पीएलजीए वर्ष का नाम दिया है. आमतौर पर पीएलजीए के स्थापना दिवस पर माओवादी पीएलजीए सप्ताह मनाते हैं. इन सात दिनों के दौरान वे मारे गए माओवादियों को याद करते हैं. इसके साथ ही लोगों के बीच अपनी पैठ और दहशत बढ़ाने का काम करते हैं. इस साल माओवादी पूरे एक साल स्थापना दिवस मनाएंगे. यानी इस दौरान उनकी गतिविधियां बढ़ेंगी और ये सुरक्षाबलों के लिए बड़ी चुनौती होगी.
पीएलजीए की 20वीं वर्षगांठ पर वीडियो
पीएलजीए के माओवादी 1 दिसंबर 2020 से 1 दिसंबर 2021 तक माओवादी स्थापना वर्ष मना रहे हैं. इसका खुलासा एक वीडियो से हुआ है. माओवादियों का ये वीडियो सुरक्षा एजेंसियों को मिला है. करीब 9 मिनट के इस वीडियो को माओवादियों की सेंट्रल कमिटी और सेंट्रल मिलिट्री कमीशन ने तैयार किया है. इस वीडियो में पीएलजीए सप्ताह की जगह पीएलजीए वर्ष मनाने की घोषणा की गई है. वीडियो में माओवादियों को स्थापना दिवस मनाते हुए दिखाया गया है. इस वीडियो में माओवादी और हथियार भी नजर आ रहे हैं.
पीएलजीए क्या है
कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के मिलिट्री विंग का नाम पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी है. पीपुल्स वार ग्रुप ने इसका गठन 2 दिसंबर 2002 को किया था. तब माओवादियों के तीन सेंट्रल कमिटी सदस्य श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे.
21 सितबंर 2004 को कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी-लेनिनवादी), पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया का विलय हो गया था. तीनों के विलय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) का गठन हुआ और इनकी एकीकृत मिलिट्री विंग पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी हो गई. साल 2004 में ही पलामू के बिश्रामपुर के इलाके में पीएलजीए की पहली बैठक हुई थी.
पीएलजीए का मुख्य काम हथियारबंद माओवादी तैयार करना, आपराधिक माओवादी घटनाओं को अंजाम देना और नए इलाकों में अपनी पैठ जमाना है. माओवादियों ने स्थापना वर्ष में अपने कैडरों की संख्या को भी बढ़ाने का जिक्र किया है.