पलामूः प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी पूरे देश में दो से आठ दिसंबर तक PLGA सप्ताह मना रहे हैं. पीएलजीए के सुप्रीम कमांडर में से एक प्रशांत बोस को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया है. यह माओवादियों के इतिहास में सबसे बड़ी गिरफ्तारी है. पिछले दो दशक में माओवादियों के गुरिल्ला आर्मी के कैडरों की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमट गई है.
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यह संख्या माओवादियों के बिहार झारखंड उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में घटी है. माओवादियों ने 2 दिसंबर 2002 को पीपुल्स लिबरेशन आर्मी PLA का गठन किया था. यह पीपुल्स वार ग्रुप ने बनाया. इसी दौरान माओवादियों के तीन सेंट्रल कमिटी सदस्य श्याम, मुरली और महेश मारे गए थे. 2004 में पीपुल्स वार ग्रुप और माओइस्ट कम्युनिटी सेंटर ऑफ इंडिया, MCCI का विलय हो गया. दोनों के विलय से कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया, CPI बनी. उसके पीपुल्स लिबरेशन आर्मी का नामकरण पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी हो गई. 2004 में पलामू के बिश्रामपुर के इलाके में ही पीपुल्स लिबरेशन ऑफ गुरिल्ला आर्मी का पहली बैठक हुई थी.
PLGA के कैडर की संख्या हजारों से दर्जनों में सिमटी
माओवादियों के बिहार, झारखंड, उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी, जिसमें पूरा बिहार और झारखंड है, उसमें 2008-09 तक कैडरों की संख्या 2500 से 3000 के बीच थी. इससे अधिक संख्या माओवादियों के सिर्फ दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी के पास थी. दंडकारण्य स्पेशल जोन कमिटी में कैडरों की संख्या 4500 से 5000 के करीब थी. सुरक्षा एजेंसियों की मानें तो झारखंड बिहार उतरी छत्तीसगढ़ स्पेशल एरिया कमिटी में 300 से भी कम PLGA कैडर बच गए हैं.