पलामू:जिले में नियमों के लिबरल होने के कारण बैंक लॉकर घोटाला हुआ है. इस घोटाले ने यह जाहिर कर दिया है कि बैंक का लॉकर भी अब सुरक्षित नहीं है. एक साधारण व्यक्ति भी बैंक के लॉकर का डुप्लीकेट चाबी बनवाकर किसी घटना को अंजाम दे सकता है. पलामू प्रमंडलीय मुख्यालय मेदिनीनगर में यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (United Bank Of India) वर्तमान में पीएनबी का अंग है. इसके डालटनगंज शाखा में लॉकर घोटाला हुआ है. बैंक के पांच लॉकर के साथ छेड़छाड़ कर लाखों की संपत्ति गायब की गई है.
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लॉकर घोटाला मामले का पुलिस ने उद्भेदन करते हुए बैंक मैनेजर और डिप्टी मैनेजर समेत 13 आरोपियों को गिरफ्तार किया है. जानकारों की मानें तो झारखंड में सोना गिरवी रखकर लगभग 50 हजार से अधिक लोगों ने अलग-अलग बैंकों से लोन लिया है.
पुलिस की जांच में लापरवाही
यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया के लॉकर घोटाले को अंजाम देने के लिए अधिकारियों ने पूरी तरह से नियम कानून को ताक पर रख दिया. इसका खुलासा पुलिस की जांच में हुआ है. पलामू के एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने बताया कि बैंक के अधिकारियों की इस घटना में बड़ी लापरवाही है. इस घटना में बैंक की सुरक्षा व्यवस्था में सेंधमारी हुई है. एसपी ने बताया कि बैंक के लॉकर की काफी कड़ी सुरक्षा व्यवस्था होती है. उसका डुप्लीकेट चाबी बनाना आसान नहीं है. चाबी को कैश रूम में रखा जाता है. लेकिन इस घटना में पूरी तरह यह साबित हो गई है कि बैंक की सुरक्षा व्यवस्था फेल थी. इसमें अधिकारियों की बड़ी लापरवाही है.
गोल्ड लोन के लिबरल है नियम
यूनाइटेड नेशनल बैंक ऑफ इंडिया में घोटाला को अंजाम देने वाले आरोपियों ने लॉकर से सोने को निकालकर बैंकों से गोल्ड लोन ले लिया है. पुलिस के लिए बैंकों से चोरी के सामान को रिकवर करना बड़ी चुनौती बन गई है. चार्टर्ड अकाउंटेंट जय शर्मा बताते हैं कि गोल्ड लोन के लिए बनाया गया नियम काफी लिबरल है. गोल्ड लोन लेने के लिए ग्राहक का सिर्फ केवाईसी और आय प्रमाण पत्र देखा जाता है. उन्होंने बताया कि ग्राहक को लोन लेने वक्त सोना का बिल भी नहीं दिखाना पड़ता है. जबकि सोना के बाजार मूल्य के हिसाब से 75 प्रतिशत तक लोन दिया जाता है.