पलामू: 2017-18 में नक्सल प्रभावित इलाकों में मुठभेड़ में जख्मी जवान और ग्रामीणों को अस्पतालों तक पंहुचाने के लिए बाइक एम्बुलेंस की तैनाती की गई थी. शुरुआत में इस योजना का लाभ लोगों को तो मिला लेकिन धीरे धीरे स्थिति पुरानी व्यवस्था पर लौट गई है. इन 4 सालों में कितने ग्रामीणों को बाइक ऐंबुलेंस की सुविधा मिली इसका डाटा किसी के पास नहीं है. पुलिस और स्वास्थ्य विभाग के पास ऐंबुलेंस तो है लेकिन धूल फांक रहा है.
नक्सल प्रभावित इलाकों में फेल हुई बाइक एंबुलेस योजना ,दोबारा शुरुआत करने की कोशिश में विभाग
पलामू में नक्सल प्रभावित इलाके में मुठभेड़ में जख्मी जवान और ग्रामीणों को अस्पतालों तक पंहुचाने के लिए बाइक एंबुलेंस की तैनाती की गई थी. लेकिन पिछले 4 सालों में ये योजना दम तोड़ती नजर आर रही थी. लोगों की सुविधा का ख्याल रखते हुए पुलिस फिर इसे एक्टिव करने की तैयारी में है.
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खड़े खड़े खराब हो गए कई ऐंबुलेंस
पूरे झारखंड में सबसे पहले लातेहार के मटलौंग में बाइक एंबुलेंस की शुरुआत की गई थी. इस योजना के तहत अति नक्सल प्रभावित इलाके के गर्भवती महिला बीमार व्यक्ति को अस्पताल तक पहुंचाया जाना था. बाइक पर एक बेड लगाकर एंबुलेंस का स्वरूप दिया गया था. पलामू सिविल सर्जन डॉक्टर अनिल कुमार सिंह बताते हैं कि सरकार एक बार फिर से बाइक एंबुलेंस को एक्टिव करने की सोच रही है. लेकिन इसके संचालन में एक बड़ी चुनौती है शॉकर बैठ जाने के कारण दुर्घटना का डर लगा रहता है. उन्होंने बताया कि बाइक एंबुलेंस की रीमॉडलिंग की पहल की जा रही है. विभाग इसके लिए कार्य कर रहा है और इसके शुरुआत हो जाने से गर्भवती महिलाएं और ग्रामीण इलाके के बीमार बच्चों समेत अन्य लोगों को काफी फायदा होगा.