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पलामू समाज कल्याण विभाग घोटाला केस को एसीबी ने किया टेकओवर, जांच के दायरे में कई टॉप अधिकारी - झारखंड न्यूज

पलामू समाज कल्याण विभाग में हुये घोटाले की जांच एसीबी करेगी. इससे संबंधित केस को टेकओवर कर एसीबी की टीम साक्ष्यों को खंगालने में टीम जुट गई है.

ACB took over Palamu Social Welfare Department scam case
पलामू समाज कल्याण विभाग घोटाला केस को एसीबी ने किया टेकओवर

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Published : Jul 20, 2022, 11:36 AM IST

पलामूः पलामू समाज कल्याण विभाग में करोड़ों रुपये के हुये घोटाले केस को एसीबी ने टेकओवर किया है. पलामू प्रमंडलीय एसीबी की टीम अब इस घोटाले की जांच करेगी. समाज कल्याण विभाग ने साल 2018 में मेदिनीनगर टाउन थाना में प्राथमिकी दर्ज करवाई थी. एफआईआर में तत्कालीन समाज कल्याण पदाधिकारी बताया था कि 10.45 करोड़ रुपये की हेराफेरी हुई है. इस हेराफेरी में पलामू के पूर्व समाज कल्याण पदाधिकारी रंजना कुमारी, सीडीपीपो संचिता भगत, सुधा सिन्हा, लिपिक सतीश कुमार और पोषाहार सप्लायरों को आरोपी बनाया गया था.

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अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत से समाज कल्याण की राशि को नियम विरुद्ध पोषाहार सप्लायरों के खाता में भेजने का आरोप है. इस मामले में पलामू पुलिस ने चार वर्षों तक चले अनुसंधान के बाद एसीबी जांच की अनुशंसा की थी. इसके बाद एसीबी ने इस केस को टेकओवर किया है. एसीबी ने टाउन थाना में दर्ज एफआईआर और विभाग के जुड़े कई दस्तावेज को लिया है और साक्ष्यों को खंगालना शुरू कर दिया है. अगले कुछ दिनों में एसीबी की टीम कई अधिकारियों से भी पूछताछ करेगी. अधिकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एसीबी की टीम आरोपियों के खिलाफ जल्द ही नोटिस जारी करने वाली है.

पोषाहार की राशि मे गड़बड़ी को तत्कालीन तत्कालीन डीआरडीए डायरेक्टर आईएएस अधिकारी ताराचंद और एक अन्य अधिकारी के नेतृत्व में पलामू जिला प्रशासन ने जांच कमेटी गठन किया था. इस कमेटी ने जांच के दौरान पाया था कि जिन सप्लायर के खाते में राशि भुगतान की गई है, उनका कोई दुकान ही नहीं है और नहीं कोई उनकी संस्थान है. इसके बाद पलामू जिला प्रशासन ने पूरे मामले में एफआइआर दर्ज करवाने का निर्णय लिया था. एफआईआर दर्ज होने के बाद पुलिस की जांच शुरू हुई तो रातों-रात सप्लायरों ने दुकान खड़ा कर दिया था.


पलामू समाज कल्याण विभाग में घोटाले के दौरान नियम विरुद्ध पोषाहार की राशि को सप्लायरों के खाते में भेजे गए थे. पोषाहार की राशि आंगनबाड़ी सेविका और पोषण समिति के खातों में जानी थी. लेकिन यह विभाग के अधिकारियों के निर्णय के बाद सीधे सप्लायरों के खाते में भेजी गई. पोषाहार का बिल आंगनबाड़ी सेविका जमा करती थी, जबकि उसका भुगतान सीधे सप्लायरों के खाते में होता था. इस मामले में तत्कालीन समाज कल्याण पदाधिकारी शत्रुंजय कुमार ने जांच की. इसके बाद अनियमितता मिलने के बाद उन्होंने प्राथमिकी दर्ज करवाई थी.

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