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जमशेदपुरः पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की लिखी आदिवासी कुड़मी संग्राम पुस्तक का विमोचन - जमशेदपुर में आदिवासी कुड़मी संग्राम किताब का विमोचन

जमशेदपुर में पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की लिखित पुस्तक आदिवासी कुड़मी संग्राम का लोकार्पण किया गया. इस दौरान मौजूद वक्ताओं ने कुड़मी जाति को आदिवासी सूची में शामिल करने पर अपना विचार रखा.

Tribal Kudmi Sangram book released in Jamshedpur
पुस्तक का विमोचन

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Published : Nov 9, 2020, 9:42 AM IST

जमशेदपुर: सोनारी के निर्मल भवन में जमशेदपुर के पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो की ओर से लिखित पुस्तक आदिवासी कुड़मी संग्राम का लोकार्पण रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर कुमार चौधरी, पूर्व विधायक केशव महतो कमलेश, पूर्व सासंद आभा महतो संयुक्त रूप से किया.

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इस दौरान मौजूद वक्ताओं ने कुड़मी जाति को आदिवासी सूची में शामिल करने को लेकर चल रहे जद्दोजहद पर अपने विचार रखे. रांची विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार अमर चौधरी ने कहा कि कुड़मी जाति को आदिवासी सूची में शामिल करने के लिए बेहतर तालमेल और समन्वय की जरूरत है.

वहीं, पूर्व सांसद आभा महतो ने आरोप लगाया कि झारखंड का गठन जरूर हुआ लेकिन यह अपने उद्देश्य से भटका हुआ है. उन्होंने कहा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक बिनोद बिहारी महतो और निर्मल महतो रहे हैं तो इससे स्पष्ट है कि झारखंड में हमारा योगदान रहा है. उन्होंने जानकारी रखो आगे बढ़ो और मदद की दिशा में कदम बढ़ाओ का नारा दिया.

पूर्व विधायक केशव महतो कमलेश ने जोर देकर कहा कि कुर्मी आदिवासी थे और रहेंगे यह पुस्तक इसे और पुख्ता करती है. वहीं, पूर्व सांसद शैलेंद्र महतो ने कहा कि इस पुस्तक में उन्होंने कुड़मी को आदिवासी होने के पक्ष में सारे दस्तावेज को दर्शाया है. उन्होंने बताया कि कुड़मी जाति को राजनीतिक कारणों से आदिवासी सूची में शामिल नहीं किया जा रहा है. उन्होंने बताया कि 1950 तक 13 आदिवासी जातियों में हम भी सूची में थे, लेकिन उसी साल बनी सूची में हमें बाहर कर पिछड़ा वर्ग एनेक्सर-01 में डाल दिया गया है. उन्होने कहा कि तत्कालीन मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पहल पर प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार के पास भेजा गया. बाद में केंद्र में 10 वर्षों तक कांग्रेस की सरकार रही.

इस वजह से यह प्रस्ताव राज्य और केंद्र के बीच फुटबॉल बन गया. इस वजह से हमारे प्रस्ताव पर सरकार को विचार करना चाहिए उन्होंने कहा कि कुड़मी आदिवासी है और रहेंगे. पुस्तक में इस बात को दर्शाया गया है. इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपने विचार रखे. सभी लोगों ने संयुक्त रूप से कहा कि कुड़मी को आदिवासी बनाने के लिए एक बार जोरदार अंदोलन करना होगा.

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