पूर्वी सिंहभूम/घाटशिला:पूर्वी सिंहभूम जिले के चाकुलिया ब्लॉक स्थित भातकुंडा पंचायत के सुनसुनिया जंगल में पद्मश्री से सम्मानित लेडी टार्जन जमुना टुडू ने पर्यावरण दिवस मनाया. जमुना और गांव के अन्य महिलाओं ने सुनसुनिया जंगल में स्थित साल के पेड़ों की आरती उतारी. इस अवसर पर जमुना टुडू ने साल के वृक्षों को भाई मान कर पेड़ों की रक्षा करने की शपथ ली.
पद्मश्री जमुना टुडू के गांव की अनोखी प्रथा, बेटियों के जन्म और विवाह के वक्त लगाये जाते हैं पेड़
विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर लेडी टार्जन जमुना टुडू ने कहा कि उनकी वन प्रबंधन एवं संरक्षण समिति की अब पूर्वी सिंहभूम में 300 से ज्यादा शाखाएं बन चुकी हैं. एक समिति में कई महिलाएं सदस्य हैं. सभी जंगलों में गश्ती कर पेड़-पौधों को बचाने का प्रयास करती हैं. पौधरोपण के लिए ग्रामीणों को जागरूक भी करती हैं ताकि जंगल बढ़े.
बेटियों को जन्म लेने पर लगाये जाते हैं साल के 18 वृक्ष
जमुना टुडू 1998 में शादी कर ससुराल पहुंची, तो घर से 200 मीटर की दूरी पर वीरान पहाड़ था. 'साल' के कुछ पौधे तो थे पर उसे भी काटने के लिए लोग रोज जाया करते थे. बगल का जंगल बहुमूल्य 'साल' पेड़ों से भरा हुआ था, जिसकी अवैध कटाई की जा रही थी. जमुना हर दिन देखती थीं, कि कैसे सैकड़ों टन बहुमूल्य लकड़ियां वन माफिया चुराकर ले जा रहे हैं. वन विभाग तक इसकी सूचना भी नहीं पहुंच पाती थी और इक्का दुक्का मामले ही प्रकाश में आ पाते थे. जिसके बाद जमुना ने ठान लिया कि वे इस तरह से वनों को नष्ट नहीं होने देंगी.
इन सब को देखते हुए जमुना ने लोगों को इकट्ठा किया और वनों की उपयोगिता और उनके बचाव से होने वाले लाभों के बारे में बताया. जमुना ने लोगों से कहा कि सबको मिलकर जंगलों को कटने से रोकना होगा. लेकिन गांव के किसी भी पुरुष ने उनका साथ नहीं दिया, लेकिन औरतें आगे आईं.
जिसके बाद से गांव में एक नियम लागू किया गया जिसमें बेटियों के जन्म के समय 18 'साल' वृक्ष लगाने की बात कही गई. यही नहीं विवाह के वक्त पर कम से कम 10 साल के पेड़ लगाने पर सहमति बनी. साथ ही रक्षाबंधन पर सारे गांव के लोग सामूहिक रुप से जंगल के वृक्षों को राखी बांधते हुए उनकी रक्षा करने की शपथ लेते हैं.