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जमशेदपुर में टाटा के खिलाफ सड़क पर सत्ताधारी दल, विपक्ष ने जताई चिंता, कहा- निवेश पर पड़ेगा बुरा असर

जमशेदपुर में टाटा स्टील कंपनी सत्ताधारी दलों के निशाने पर है. कांग्रेस और जेएमएम जहां टाटा कमिन्स और टाटा मोटर्स के मुख्यालय को महाराष्ट्र के पुणे में शिफ्ट करने का विरोध कर रही है. वहीं बीजेपी ने विरोध प्रदर्शन को राज्य के लिए नुकसानदेह बताते हुए कंपनी के अधिकारियों से वार्ता की नसीहत दी है.

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टाटा के खिलाफ सड़क पर सत्ताधारी दल

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Published : Nov 19, 2021, 1:52 PM IST

Updated : Nov 20, 2021, 6:27 AM IST

जमशेदपुर: आजादी से पहले और आजादी के बाद देश के इस्पात उद्योग में क्रांति लाने वाली टाटा स्टील कंपनी आज अपने ही राज्य में सत्ताधारी पार्टी के निशाने पर है. सरकार में शामिल दोनों मुख्य पार्टियां जेएमएम और कांग्रेस कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. दोनों पार्टियां टाटा के उस योजना से नाराज है जिसमें टाटा कमिन्स और टाटा मोटर्स के मुख्यालय को महाराष्ट्र के पुणे में शिफ्ट किया जाना है. सत्ताधारी पार्टियां जहां टाटा से इस मसले पर दो-दो हाथ करने के मूड में वहीं विपक्षी दल बीजेपी ने राज्य में इस तरह के हालात को चिंताजनक बताया है.

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टाटा के विरोध में जेएमएम

सत्ताधारी जेएमएम मजदूरों के शहर जमशेदपुर में मजदूरों के हित की बात कर टाटा कंपनी का लगातार विरोध कर रही है. 17 नवंबर को जेएमएम कोल्हान प्रमंडल के नेताओं कार्यकर्ताओं ने 24 घंटे तक टाटा कमिन्स, टाटा मोटर्स और टाटा स्टील के गेट पर धरना देकर विरोध प्रदर्शन किया. टाटा स्टील के खिलाफ आंदोलन को सरकार के मंत्री चंपई सोरेन ने भी सही ठहराया और साफ कहा कि अपने आंगन में लगे पेड़ का फल खाने का अधिकार हमे है दूसरों को नहीं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि टाटा के फैसले से दूसरे निवेशकों पर असर नहीं पड़ेगा. उन्होंने साफ कहा कि आंदोलन की समीक्षा रिपोर्ट राज्य के मुखिया पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन को सौंपा जाएगा.

टाटा के खिलाफ कांग्रेस

जेएमएम के साथ कांग्रेस भी टाटा कंपनी से नाराज है. इसका नजारा पहली बार तब दिखा जब 15 नवंबर को स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने जेएन टाटा की मूर्ति के सामने बैठकर टाटा स्टील के अधिकारियों द्वारा भगवान बिरसा को श्रद्धांजलि नहीं देने पर नाराजगी जताई. इसके साथ ही उन्होंने जेएमएम के आंदोलन को भी सही ठहराते हुए टाटा के फैसले की आलोचना की.

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टाटा कंपनी को चेतावनी

टाटा कंपनी के खिलाफ चल रहे इस आंदोलन से जमशेदपुर का माहौल गर्म हो गया है. आंदोलन का नेतृत्व कर रहे जेएमएम विधायक रामदास सोरेन ने टाटा कमिन्स और टाटा मोटर्स के मुख्यालय को पुणे शिफ्ट करने के फैसले को गलत बताया और कहा कि चेयरमैन एन चंद्रशेखरन को पत्र भेजा गया है. 20 नवंबर तक सुनवाई नहीं हुई तो कंपनी का अनिश्चित कालीन आर्थिक नाकेबंदी किया जाएगा.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

टाटा के फैसले पर सियासत

जेएमएम और कांग्रेस के आंदोलन को बीजेपी ने गलत बताया है. भाजपा सांसद विद्युत वरण महतो ने जेएमएम को नसीहत देते हुए कहा कि झारखंड में उन्हीं की सरकार है ऐसे में उन्हें कोई ऐसा काम नहीं करना चाहिए जिससे जनता परेशान हो. वहीं जमशेदपुर महानगर भाजपा के जिला अध्यक्ष गुंजन यादव ने कहा एक बड़े उद्योग के खिलाफ यह आंदोलन चिंताजनक है. जबकि कंपनी में कांग्रेस की इंटक यूनियन है ऐसे में यूनियन प्रबंधन और नेताओं को बैठक कर अपनी बातों को रखने की जरूरत थी.कंपनी का गेट जाम कर पार्टी का झंडा लहराना पूरी तरह से गुंडागर्दी है ऐसे में कोई निवेशक यहां नहीं आएगा.

क्या कह रही है टाटा कंपनी
राज्य की सत्ताधारी पार्टी द्वारा टाटा के खिलाफ आंदोलन के संदर्भ में टाटा स्टील कार्पोरेट ने कुछ भी कहने से इनकार किया है. उनका साफ तौर पर कहना है यह हॉइ प्रोफाइल मामला है मुम्बई हेड आफिस ही इस पर कुछ कहने के लिए अधिकृत है.

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राज्य में निवेश पर पड़ेगा असर
वर्तमान हालात में सत्ताधारी पार्टी के इस आंदोलन को शहर के वरिष्ठ पत्रकार बीके ओझा ने चिंताजनक बताया है. उनका कहना है कि इसस निवेशकों के बीच अच्छा संदेश नहीं जाएगा. उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि बंगाल के सिंगुर से टाटा ने अपने प्लांट को गुजरात शिफ्ट किया था जिसके बाद से आज तक कोई निवेशक वहां नहीं आया. उन्होंने कहा मुख्यालय कहीं जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता है. ऐसे में राज्य सरकार को कंपनी के साथ रोजगार के साथ अन्य मामले में वार्ता कर मामले को सुलझाने जरूरत है.

Last Updated : Nov 20, 2021, 6:27 AM IST

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