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जमशेदपुरः शौचालय निर्माण के पैसों का बंदरबांट, पुलिस ने मुखिया को भेजा जेल

पोटका प्रखंड के मानपुर पंचायत के मुखिया तारने सेन सरदार को शौचालय निर्माण की राशि गबन करने के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. मामले में जल सहिया की भी मिली भगत बताई जा रही है. मुखिया के परिजनों ने आरोप को गलत बताया है.

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Published : Aug 22, 2019, 12:15 PM IST

मुखिया गिरफ्तार

जमशेदपुर: साल 2018 में पीएचईडी विभाग ने गांव के सभी घरों में शौचालय निर्माण के लिए मुखिया और क्षेत्र की जल सहिया को जिम्मेवारी दी गई थी. जिसमें कई पंचायतों के मुखिया और जल सहिया ने योजना के तहत मिलने वाले पैसों का बंदरबांट कर दिया. मामले का खुलासा होने पर पोटका प्रखंड क्षेत्र के मानपुर पंचायत के मुखिया तारने सेन सरदार को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है.

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जानकारी मुताबिक यह अनियमितता बरते जाने के कारण पोटका थाना में पीएचईडी विभाग के कनीया अभियंता ने क्षेत्र के 4 से 5 पंचायत के मुखिया और जल सहियाओं पर शौचालय राशि बिना काम के निकाले जाने का मामला दर्ज कराया है. मामला दर्ज होने के बाद से सभी मुखिया फरार बताए जा रहे थे. वहीं गुरुवार को पोटका पुलिस अपने उच्च अधिकारियों के साथ मानपुर गांव पहुंचकर उक्त पंचायत के मुखिया तारने सेन को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत करने के बाद जेल भेज दिया.

इधर, मुखिया के परिजनों से पूछने पर उन्होंने बताया की मुखिया को बिना वजह फसाया जा रहा है, क्योंकि पूरे पंचायत के घरों में शौचालय निर्माण कार्य उनके द्वारा करवाया गया था. परिजनों ने बताया कि कुछ गांव के लोग अपने यहां शौचालय निर्माण नहीं करने देते, कुछ लोगों के घरों में शौचालय निर्माण की सामग्री रखे जाने पर उसे ही लोग चुरा लेते हैं, तो कुछ लोगों के घरों में शौचालय निर्माण करने के बाद उसे तोड़ देते हैं. जिसे पुनः बनाने में डबल खर्च लगता है और इसी तरह की कुछ बातें होने के कारण हमारे भतीजे को फंसाया गया है.

वहीं थाना प्रभारी मामले में बताते हैं कि यह 2018 का मामला है. क्षेत्र के अन्य मुखिया और जल सहिया के ऊपर भी मामला दर्ज किया गया है. बताया जाता है कि लगभग 53 लाख रुपए का गबन हुआ है. उन्होंने बताया कि आज मानपुर के मुखिया की गिरफ्तारी के बाद पूछे जाने पर मुखिया तारने सेन ने बताया कि वह अपने क्षेत्र में शौचालय निर्माण का कार्य पूरा कर चुका है. उसने सभी निर्माण कार्यों की सूचना विभाग के अधिकारियों को लिखित रूप में दे दी है, लेकिन विभाग द्वारा मामला दर्ज करने के बाद थाने में किसी प्रकार की उक्त मामले में सूचना नहीं दी गई. केस पेंडिंग होने के कारण प्रशासन के ऊंचे अधिकारियों से थाना अधिकारियों को मिले आदेश के अनुसार कानूनी कार्रवाई की गई है.

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