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टाटानगर रेलवे स्टेशन पर मॉक ड्रिल, आपात स्थिति से निपटने किया गया अभ्यास

जमशेदपुर के टाटानगर रेलवे स्टेशन में ट्रेन दुर्घटना के बाद आपातकाल को लेकर रेल प्रशासन की तैयारी और बचाव कार्य की जांच के लिए मॉक ड्रिल किया गया. करीब तीन घंटे तक मॉक ड्रिल चला.

mock drill at tatanagar railway station in jamshedpur
मॉक ड्रिल

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Published : Feb 20, 2021, 7:48 PM IST

Updated : Feb 20, 2021, 7:54 PM IST

जमशेदपुर: साउथ ईस्टर्न रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत टाटानगर मॉडल स्टेशन में रेल दुर्घटना के दौरान आपातकाल रिलीफ के लिए मॉक ड्रिल किया गया. तीन घंटे तक चली इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ की टीम के अलावा रेलवे की अन्य एजेंसियां भी शामिल रहीं.

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चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम ने बताया कि मॉक ड्रिल के जरिए रेलवे के अलग-अलग विभाग और स्थानीय प्रशासन के कार्यों को देखा गया है. उन्होंने बताया कि कुछ कमियां रहीं हैं, जिसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा, जबकि मौके पर मौजूद जिला उपायुक्त ने बताया कि मॉक ड्रिल में एंबुलेंस की कमी देखी गई है, जिसके लिए निजी अस्पतालों की मदद ली जाएगी.

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टाटानगर रेलवे स्टेशन में मॉक ड्रिल
चक्रधरपुर रेल मंडल ने टाटानगर मॉडल स्टेशन से कुछ दूरी पहले मॉक ड्रिल किया गया है. मॉक ड्रिल से पहले 5 बार हूटर यानी सायरन बजा इस दौरान अफरा तफरी का माहौल बन गया. मॉक ड्रिल में यह दर्शाया गया कि ट्रेन के बेपटरी होने पर एसी कोच पलट जाता है और स्लीपर व बोगी भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है.

जिसमें मौजूद यात्रियों को कैसे सुरक्षित बाहर निकाला जाए, मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ पटना यूनिट की टीम विशेष रूप से बचाव कार्य के लिए लगी रही. इस दौरान रेलवे की स्काउट गाइड, मेडिकल, सिविल डिफेंस, इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट, टेलीकॉम डिपार्टमेंट, आरपीएफ जीआरपी और स्थानीय थाना की पुलिस के अलावा जिला प्रशासन की टीम भी मौजूद रही.

तीन घंटे तक चला
मॉक ड्रिल में यह दर्शाया गया कि घटना के कितने मिनट बाद दुर्घटनास्थल के लिए रिलीफ ट्रेन रवाना होती है और दुर्घटनास्थल से घायल यात्रियों को कैसे जल्द से जल्द अस्पताल भेजा जा सके. करीब तीन घंटे तक चला. मॉक ड्रिल वाला स्थल ऐसा लग रहा था मानो सच में ट्रेन दुर्घटना हुई है. दुर्घटनास्थल पर ही रेलवे की सभी विभाग की अलग-अलग टीम का कैंप बनाया गया था, जिसमें यात्रियों की पहचान उनका नंबर उनके परिजन से संपर्क करने की व्यवस्था के अलावा एक मोर्चरी भी बनाया गया था, जिसमें दुर्घटना में मृत यात्रियों को रखा गया था.


राहत कार्य की व्यवस्था की जांच
चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम वीके साहू ने बताया कि मॉक ड्रिल के जरिए आपातकाल में राहत कार्य की व्यवस्था की जांच की गई है. जिसमें रेलवे के सभी विभाग ने तत्परता से अपनी जिम्मेदारी निभाई है. उन्होंने बताया कि ट्रेन दुर्घटना के बाद सबसे बड़ी चुनौती होती है. जल्द से जल्द वहां पहुंचने की और यात्री को सही सलामत कोच से बाहर निकालना की. उन्होंने बताया कि राहतकार्य में सभी टीमों ने बेहतर जिम्मेदारी निभाई है लेकिन कुछ कमियां है, जिसे जल्द ही दूर किया जाएगा.

51 हजार की राशि का किया जाएगा वितरण

डीआरएम ने बताया कि ट्रेन दुर्घटना होने के बाद रेल प्रशासन के अलावा स्थानीय प्रशासन का सहयोग सबसे जरूरी होता है. आज के मॉक ड्रिल में कम देखने को मिला है. उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल में शामिल टीम का उत्साह बढ़ाने के लिए 51 हजार की राशि टीम के सदस्यों के बीच बांटी जाएगी.

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मॉक ड्रिल के दौरान पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त सूरज कुमार भी मौजूद रहे. उन्होंने बताया कि मॉक ड्रिल में रेल प्रशासन के साथ जिला प्रशासन की टीम भी शामिल रही. जिले की राहत कार्य की टीम को और बेहतर करने का काम किया जाएगा. उन्होंने बताया कि एंबुलेंस की व्यवस्था में कमी पाई गई है, जिसके लिए निजी अस्पतालों के साथ मिलकर काम करने की तैयारी की जाएगी, जिससे आपातकाल के समय में घायलों को जल्द से जल्द अस्पताल पहुंचाया जा सके.

24 फरवरी को मॉक ड्रिल
जिला प्रशासन की ओर से जिला आपातकाल में बचाव कार्य की जांच के लिए 24 फरवरी के दिन मॉक ड्रिल किया जाएगा, जिसमें टाटा स्टील की मदद ली जाएगी और गैस रिसाव में कैसे राहत कार्य बेहतर हो सके मॉक ड्रिल के जरिए जांच की जाएगी.

Last Updated : Feb 20, 2021, 7:54 PM IST

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