जमशेदपुर: साउथ ईस्टर्न रेलवे के चक्रधरपुर रेल मंडल अंतर्गत टाटानगर मॉडल स्टेशन में रेल दुर्घटना के दौरान आपातकाल रिलीफ के लिए मॉक ड्रिल किया गया. तीन घंटे तक चली इस मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ की टीम के अलावा रेलवे की अन्य एजेंसियां भी शामिल रहीं.
चक्रधरपुर रेल मंडल के डीआरएम ने बताया कि मॉक ड्रिल के जरिए रेलवे के अलग-अलग विभाग और स्थानीय प्रशासन के कार्यों को देखा गया है. उन्होंने बताया कि कुछ कमियां रहीं हैं, जिसे दूर करने का प्रयास किया जाएगा, जबकि मौके पर मौजूद जिला उपायुक्त ने बताया कि मॉक ड्रिल में एंबुलेंस की कमी देखी गई है, जिसके लिए निजी अस्पतालों की मदद ली जाएगी.
ये भी पढ़े-सावधानः रात के 10 बजे के बाद DJ बजाया, तो खैर नहीं, JNAC करेगा कार्रवाई
टाटानगर रेलवे स्टेशन में मॉक ड्रिल
चक्रधरपुर रेल मंडल ने टाटानगर मॉडल स्टेशन से कुछ दूरी पहले मॉक ड्रिल किया गया है. मॉक ड्रिल से पहले 5 बार हूटर यानी सायरन बजा इस दौरान अफरा तफरी का माहौल बन गया. मॉक ड्रिल में यह दर्शाया गया कि ट्रेन के बेपटरी होने पर एसी कोच पलट जाता है और स्लीपर व बोगी भी दुर्घटनाग्रस्त हो जाती है.
जिसमें मौजूद यात्रियों को कैसे सुरक्षित बाहर निकाला जाए, मॉक ड्रिल में एनडीआरएफ पटना यूनिट की टीम विशेष रूप से बचाव कार्य के लिए लगी रही. इस दौरान रेलवे की स्काउट गाइड, मेडिकल, सिविल डिफेंस, इलेक्ट्रिक डिपार्टमेंट, टेलीकॉम डिपार्टमेंट, आरपीएफ जीआरपी और स्थानीय थाना की पुलिस के अलावा जिला प्रशासन की टीम भी मौजूद रही.
तीन घंटे तक चला
मॉक ड्रिल में यह दर्शाया गया कि घटना के कितने मिनट बाद दुर्घटनास्थल के लिए रिलीफ ट्रेन रवाना होती है और दुर्घटनास्थल से घायल यात्रियों को कैसे जल्द से जल्द अस्पताल भेजा जा सके. करीब तीन घंटे तक चला. मॉक ड्रिल वाला स्थल ऐसा लग रहा था मानो सच में ट्रेन दुर्घटना हुई है. दुर्घटनास्थल पर ही रेलवे की सभी विभाग की अलग-अलग टीम का कैंप बनाया गया था, जिसमें यात्रियों की पहचान उनका नंबर उनके परिजन से संपर्क करने की व्यवस्था के अलावा एक मोर्चरी भी बनाया गया था, जिसमें दुर्घटना में मृत यात्रियों को रखा गया था.