जमशेदपुर: आजादी से पूर्व सत्य और अहिंसा के मार्ग पर चलकर देश से अंग्रेजों को भगाने के लिए आंदोलन करने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधीजी का मजदूरों से विशेष लगाव था. पूंजीवाद का विरोध करने वाले महात्मा गांधी तीन बार जमशेदपुर आ चुके हैं. जहां उन्होंने टाटा स्टील कंपनी के मजदूर, प्रबंधन और यूनियन के साथ कुछ पल गुजारे हैं. जिसे कंपनी और यूनियन के इतिहास में एक ऐतिहासिक पल के रुप में याद किया जाता है. जिस क्वॉटर में वे ठहरे थे, आज उसमें रहने वाले खुद को गौरवान्वित महसूस करते है.
गांधीजी की याद दिलाता है क्वॉटर
मजदूरों का शहर कहे जानेवाले लौहनगरी में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी से कई यादें जुड़ी हैं. गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में जन्म लेनेवाले महात्मा गांधी ने अंग्रेजों की गुलामी से भारत को सत्य और अहिंसा की मार्ग पर चलकर आजाद कराने के लिए गांधीजी ने कई आंदोलन किए. जो आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. वहीं देश की आजादी के साथ महात्मा गांधीजी का अविभाजित बिहार में जमशेदपुर से खास लगाव रहा है. पूंजीवाद का विरोध करने वाले महात्मा गांधीजी के टाटा से अच्छे संबंध थे, यही वजह है कि टाटा स्टील और मजदूरों के खातिर वो 3 बार जमशेदपुर आए थे. जमशेदपुर में जिस क्वॉटर में उन्होंने अपना कुछ पल बिताया था आज भी वह क्वॉटर गांधीजी की याद दिलाता है.
जमशेदपुर से जुड़ीं गांधीजी की यादें 1925 को पहली बार आए था गांधीजी
टाटा वर्कस यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम बताते है कि टाटा स्टील कंपनी के मजदूरों ने 1924 में जब आंदोलन किया था. तब 8 अगस्त 1925 को महात्मा गांधी पहली बार जमशेदपुर आये थे और मजदूरों के आंदोलन में अपना योगदान देते हुए बिष्टुपुर स्थित यूनाइटेड क्लब में सभा को संबोधित किया था. जिसमें 20 हजार से ज्यादा मजदूर और उनके परिजन गांधीजी को सुनने आये थे. उस दौरान जमशेदपुर लेबर एसोशिएशन के बैनर तले टाटा स्टील के मजदूर हड़ताल पर थे. उसी दौरान बिष्टुपुर के आउटर सर्किल रोड स्थित S-6 क्वॉटर नंबर-1 में गांधीजी ने वक्त बिताया था और मजदूरों, प्रबंधन के बीच समझौता कराकर हड़ताल समाप्त कराया था.उपाध्यक्ष बताते हैं कि उस क्वॉटर में गांधीजी ने जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन के कार्यालय का उद्धघाटन किया था. यूनियन लीडरों को कहा था कि एक स्वच्छ लीडरशिप के लिए यूनियन जरूरी है और यूनियन के साथ प्रबंधन समय-समय पर वार्ता कर सके इसके यूनियन का अपना कार्यालय भवन होना चाहिए. जिसके बाद टाटा वर्कर्स यूनियन का अपना कार्यालय भवन बना है. उन्होंने आगे बताया कि महात्मा गांधी पूंजीवाद के विरोधी थे. लेकिन टाटा से उनकी दोस्ती थी और यही वजह थी कि मजदूरों के हड़ताल को खत्म करने में उन्होंने अपना पूरा योगदान दिया.
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जमशेदपुर से राष्ट्रपिता की कई यादें हैं जुड़ी
शाहनवाज आलम ने बताया कि दूसरी बार 1934 मे महात्मा गांधी पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ जमशेदपुर आये थे. उस दौरान जमशेदपुर में ठक्कर बापा का हरिजन आंदोलन चल रहा था. जिसमें महात्मा गांधीजी ने आंदोलनकारियों की भा को संबोधित दौरान महात्मा गांधी टाटा स्टील कंपनी के अंदर प्लांट का भृमण किया था. गांधीजी तीसरी बार 1940 में रामगढ़ से लौटने के दौरान कुछ पल जमशेदपुर में बिताए थे. जमशेदपुर के मजदूर महात्मा गांधी को राष्ट्रपिता के साथ मजदूरों का मसीहा भी समझते हैं. गांधीजी के संबोधन के कुछ महत्वपूर्ण विचारों को टाटा वर्कर्स यूनियन कार्यालय में आज भी यादों के रूप में प्रेरणास्रोत मानकर रखा गया है. वहीं बिष्टुपुर स्थित आउटर सर्किल स्थित S-6 क्वॉटर नंबर-1 में आज टाटा स्टील के कर्मचारी रहते हैं, क्वॉटर में रहने वाले टाटा स्टील के कर्मचारी कीर्तन सिंह ने बताया है कि उन्हें भी गर्व होता है कि सत्य और अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधीजी ने इस क्वॉटर में ठहरे थे. जहां आज वो रह रहे हैं. बहरहाल इस्पात उद्योग में अपनी पहचान बनाने वाला जमशेदपुर शहर से राष्ट्रपिता की यादें जुड़ी हुई हैं जो अपने आप मे एक इतिहास है, जो हर पल उनकी याद दिलाता है.