झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

GPRS से होगी पौधों की निगरानी, पर्यावरण बचाने की एक नई पहल

जमशेदपुर के युवाओं ने पौधों को बचाने के लिए नई पहल की. लौहनगरी के युवाओं ने अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के मौके पर लगाए गए पौधों की स्थिती जानने के लिए जीपीआरएस के साथ क्यूआर कोड का प्रयोग किया है.

पर्यावरण बचाने की नई पहल

By

Published : Jul 10, 2019, 6:22 PM IST

जमशेदपुर: अंतरराष्ट्रीय वन दिवस के दिन वन विभाग ने हजारों पौधे लगाए थे. लेकिन उनमें से कितने पौधे बचते हैं, इसका आंकड़ा सामने नहीं आता है. वन विभाग के आंकड़े और धरातल पर पौधों की स्थिति में अंतर दिखाई देता है. यही वजह है कि लौहनगरी के युवाओं की टोली ने पौधों को बचाने के साथ-साथ खास उपकरण की सहायता से पौधों की जानकारी अब घर बैठे जाने इसकी एक खास तरीका निकाला है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कई बार पौधे पानी की कमी के चलते मर जाते है. उनके तने कई बार इतने कमजोर होते हैं कि इसे आसानी से जानवर खा जाते हैं. उचित देखभाल नहीं मिलने के कारण पौधों की वृद्धि भी सही से नहीं हो पाती है. अबतक सरकार और वन विभाग के अधिकारियों ने इसका हल निकालने की कोशिश नहीं कि है. जिससे लगाए गए पौधों की बारे में जानकारी नहीं मिल पाती थी.
झारखंड में पहली बार एक युवाओं की टोली ने जीपीआरएस के साथ क्यूआर कोड लगाने का प्रयोग शुरू किया है. जिससे घर बैठे कभी भी फोन के माध्यम से लगाए गए पौधों पर नजर रखी जा सकती है. इसके इसके अलावा ये भी पता चल सकता है कि पौधे कितना विकास कर रहे हैं. ग्रीन नाम के सॉफ्टवेयर की मदद से ये सभी चीजें अपने स्मार्टफोन पर देखी जा सकेगी.

ये भी पढ़ें-रेलवे की दीवारों पर दिख रही लोककलाएं, ऐसे बदल रही तस्वीर

जैसे-जैसे विज्ञान में नई तकनीक का विकास हो रहा है. वैसे ही लौहनगरी के युवा इसमें रंग भरने का प्रयास कर रहे हैं. किसी भी व्यक्ति के द्वारा पौधे लागए जाने पर सबसे पहले फोटो खींची जाती है. पौधे की जानकारी और स्थान की जानकारी के बाद सॉफ्टवेयर में इसे सेव किया जाता है. जिसके माध्यम से घर-बैठे पौधों में कार्बन डाइऑक्साइड और जल की स्थिति कैसी है साथ ही इसमें पौधों का विकास कितना हुआ है. ये सभी जानकारी हमें मिल सकती है. फिलहाल 70 पौधों में इसे विकसित किया गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details