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अमावस की काली रात में होती है मां काली की पूजा, श्मशान घाट में होता है अनोखा नजारा

कार्तिक मास की अमावस्या में दीपावली की रात एक तरफ जहां मां लक्ष्मी की पूजा करने में लोग व्यस्त रहते हैं. वहीं, दूसरी ओर जगह-जगह मां काली की पूजा भी की जाती है. हालांकि श्मशान घाट में मां काली की पूजा विशेष रुप से की जाती है. इस दौरान श्मशान घाट में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलता है.

मां काली की पूजा

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Published : Oct 28, 2019, 5:56 PM IST

Updated : Oct 28, 2019, 11:26 PM IST

जमशेदपुर: कार्तिक मास में अमावस्या की काली रात को मां काली की पूजा अर्चना की जाती है. श्मशान में मां काली की पूरी रात पूजा होती है, जबकि अघोरी और तांत्रिक अपनी साधना में लीन रहते हैं. ऐसा माना जाता है कि मां काली की पूजा करने से सभी मुराद पूरी होती है.

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कार्तिक मास की अमावस्या में दीपावली की रात एक तरफ जहां मां लक्ष्मी की पूजा करने में लोग व्यस्त रहते हैं. वहीं, दूसरी ओर जगह-जगह मां काली की पूजा भी की जाती है. हालांकि श्मशान घाट में मां काली की पूजा विशेष रुप से की जाती है. इस दौरान शमशान घाट में कुछ अलग ही नजारा देखने को मिलता है. जमशेदपुर के बिस्टुपुर स्थित पार्वती घाट(शमशान घाट) में 100 साल से अमावस्या की रात को मां काली की पूजा की जाती है. मंत्रोच्चारण के साथ के साथ लाल वस्त्र पहने पुजारी मां की पूजा करते हैं, जो आधी रात से शुरू होकर सुबह तक होती है.

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अघोरी ज्वाला बाबा का कहना है कि वह महाकाल की पूजा करते हैं. महाकाल से बड़ा कोई नहीं है. साधना करने वालों पर लोगों का विश्वास रहता है. उनमें इतनी शक्ति होती है कि वह कुछ भी कर सकते हैं. अघोरी यह भी कहते हैं कि समस्या का समाधान करना सबके बस की बात नहीं है.

स्थानीय राजेश गोहल का कहना है कि पिछले 100 साल से यहां मां काली की पूजा कार्तिक मास में अमावस्या की रात को होती है. वहीं, दूसरी ओर लोग साधना भी करते हैं. मां की शक्ति से बड़ी कोई शक्ति नहीं है. पिछले 40 सालों से मां काली की पूजा करने वाले पुजारी अंजय मेत्तरो का कहना है कि जीवन मृत्यु सब मां के हाथ में है. जो भगवान की पूजा नहीं कर कुछ और करते हैं, वो गलत होते हैं.

Last Updated : Oct 28, 2019, 11:26 PM IST

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