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विदेश में फंसी है मेडिकल की पढ़ाई कर रही छात्रा, पिता लगा रहे गुहार

विदेशों में झारखंड के अलग-अलग जगहों के 20 बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 6 बच्चे सिर्फ जमशेदपुर के हैं. उन्हीं में से साकची के रहने वाले रवि कुमार का परिवार भी है जिनकी बेटी फिलीपींस में पढ़ाई करती है और घर नहीं आ पा रही है. परिजनों ने झारखंड सरकार से मदद की आस जताई है.

Many students of Jharkhand are stuck in abroad, unlock-1.0, student of Jamshedpur stuck in foreign, विदेश में फंसे हैं झारखंड के कई छात्र, अनलॉक-1.0, जमशेदपुर की छात्रा विदेश में फंसी
परेशान परिवार

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Published : Jun 4, 2020, 10:38 PM IST

जमशेदपुर: अनलॉक-1.0 में शहर के दूसरे राज्य में रहकर पढ़ने वाले बच्चे लगभग अपने-अपने घर पहुंच चुके हैं. लेकिन शहर में ऐसा भी परिवार है जिनके बच्चे विदेशों में रहकर पढ़ाई कर रहे हैं और लाॅकडाउन में वे फंस गए हैं. परिवार के लोग चाहकर भी उन्हें घर नहीं ला पा रहे हैं.

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बेटी को लेकर चिंता

फिलीपींस जैसे जगह में झारखंड के अलग-अलग जगहों के 20 बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे हैं, जिनमें 6 बच्चे सिर्फ जमशेदपुर के हैं. उन्हीं में से साकची के रहने वाले रवि कुमार का परिवार भी है. शहर के प्रतिष्ठित महिला स्कूल में मैथ के टीचर हैं. शिक्षक रवि कुमार का एक बेटा और बेटी है. उन्होंने बड़ी लगन से अपनी बेटी कृतिका को मेडिकल कराने के लिए फिलीपींस के वेनेजुएला में नामांकन करवाया. लेकिन इन दिनों यह काफी परेशान हैं. क्योंकि काफी प्रयास के बाद भी वे अपनी बेटी को अपने पास नहीं बुला पा रहे हैं.

परेशान माता-पिता

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विदेश से नहीं लौट पा रहे बच्चे

परिजनों के अनुसार, दूतावास में बार-बार भारत जाने के लिए नामांकन कराया जाता है, लेकिन किसी कारणवश फिर उन लोगों के भारत यात्रा को रद्द कर दिया जाता है. उन्हें लगता है कि झारखंड में इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं होने के कारण वहां से इन लोगों को भेजा नहीं जा रहा है, क्योंकि यहां के सबसे नजदीक एयरपोर्ट कोलकाता अभी भी रेड जोन में है. वहीं उन्होंने राज्य सरकार और भारत सरकार से आग्रह किया है कि वे इनके बच्चों को वहां से लाने में मदद करें.

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परिजन हैं परेशान
शिक्षक रवि कुमार की पत्नी भी शिक्षिका हैं. उन्होंने बताया कि स्वदेश लौटने के लिए वंदे भारत मिशन के तहत सभी को रजिस्ट्रेशन कराना था और रजिस्ट्रेशन में अपने नियरेस्ट इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम डालना था. कृतिका ने भी रजिस्ट्रेशन में अपने नियरेस्ट इंटरनेशनल एयरपोर्ट कोलकाता का नाम डाला था. लेकिन कोलकाता इंटरनेशनल एयरपोर्ट के नहीं खुलने के कारण वे वहां से नहीं आ पाए. रजिस्ट्रेशन में कोलकाता एयरपोर्ट को छोड़ दूसरा कोई एयरपोर्ट चुनने का विकल्प नहीं था. कृतिका की मां ने बताया कि वहां पर झारखंड के अलावे नॉर्थ ईस्ट के भी कई बच्चे फंसे हैं और कोरोना वायरस का खतरा बढ़ता जा रहा है, जो चिंता का विषय है.

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झारखंड सरकार से मदद की आस
शिक्षक रवि कुमार को आशा है कि वंदे भारत मिशन का तीसरा फेज 13 जून से शुरू होने वाला है और शायद इसके तहत उसकी लाडली बेटी घर लौट आए. लेकिन उन्हें यह भी अंदेशा है कि अगर कोलकाता इंटरनेशनल एयरपोर्ट नहीं खुलता है तो उनके बच्चे कैसे वापस आएंगे. उन्होंने भारत सरकार और झारखंड सरकार से इस मामले में पहल करने की मांग की है. उनका कहना है कि यदि दिल्ली के इंटरनेशनल एयरपोर्ट में बच्चे आ जाते हैं तो वे अपने घर जा सकते हैं.

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