जमशेदपुर: पूर्वी सिंहभूम जिला से महज साठ किलोमीटर की दूरी पर बसे पटमदा ब्लॉक के इंदाटाडा में महिला सशक्तिकरण की अनोखी मिशाल देखने को मिलती है. यहां की महिलाएं चूल्हा, चौका के साथ-साथ पशु का इलाज भी करती है. इंदाटाडा गांव की सैकड़ों महिलाएं पशु सखी का प्रशिक्षण लेकर बकरियों का इलाज करती है.
इंदाटाडा गांव की आबादी तकरीबन छह सौ के करीब है. यहां के लोग बकरी, मुर्गी और भैंस पालकर आजिविका चलाते हैं. सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों में रहने के कारण यहां बस, गाड़ी की सुविधा भी बमुश्किल से मिल पाती है. आठवीं और मैट्रिक पढ़ी सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्रों की ये महिलाएं पशु सखी बन चुकी हैं.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड सोसायटी प्रशिक्षण के द्वारा महिलाओं को पांच दिवसीय प्रशिक्षण में बकरी को होने वाली बीमारियां और उनके बचाव के बारे में बताए जाता है. प्रशिक्षण के दौरान छोटी-छोटी बीमारियों से बकरी को बचाने की जानकारी दवा संबंधी प्रशिक्षण के साथ इलाज के बारे में बताया जाता है. पशु प्रशिक्षण के बाद सुई, दवा, मलहम से भरा किट भी उपलब्ध करवाया जाता है, जिससे पशु सखी प्रारंभिक तौर पर बकरियों का इलाज कर पाएं.