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झारखंड में नीलम और पन्ना की लूट, नक्सली लगा रहे सरकार को चूना

पूर्वी सिंहभूम में बेशकीमती नीलम और पन्ना की अवैध खुदाई की जा रही है. घोर नक्सल प्रभावित इलाकों में अवैध खुदाई से सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है. यहां के बेशकीमती पत्थर दूसरे राज्यों में बेचे जा रहे हैं.

Illegal mining of gemstone
Illegal mining of gemstone

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Published : Dec 3, 2020, 5:30 PM IST

Updated : Dec 3, 2020, 7:38 PM IST

जमशेदपुरः झारखंड को कुदरत ने अनमोल खजाना बख्शा है. पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया, गुड़ाबांधा और मुसाबनी में बेशकीमती नीलम और पन्ना तक पाए जाते हैं. ये दोनों सुपर मेजर मिनरल्स का ज्योतिष में खास महत्व है. गहनों के तौर पर भी इसे बेहद पसंद किया जाता है. कहते हैं नीलम पहनने वालों की किस्मत रातों-रात बदल जाती है लेकिन पूर्वी सिंहभूम में इसके पाए जाने पर भी न तो लोगों की किस्मत बदली और न ही यहां की तस्वीर.

देखिए पूरी खबर

जमशेदपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर डुमरिया, गुड़ाबांधा और मुसाबनी का इलाका घोर नक्सल प्रभावित है. इस इलाके में 1000 से 1500 फीट ऊंचाई वाली करीब 45 पहाड़ियां हैं. इन पहाड़ों का लीज नहीं हो पाया है. यहां नक्सली अपनी सरपरस्ती में बेशकीमती पत्थरों का अवैध खनन करवाते हैं. सरकार और प्रशासन के पास इसका कोई हिसाब नहीं कि यहां से कितना नीलम और पन्ना अवैध तरीके से निकाला जा रहा है. एक अनुमान के अनुसार इससे राज्य सरकार को हर साल करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.

एआईएमआईएम के स्थानीय नेता रियाज़ अहमद शरीफ़ ने ईटीवी भारत को बताया कि सिंहभूम के गुड़ाबांधा और डुमरिया में नीलम और पन्ना का अवैध खनन पहले भी होता रहा है. पूर्व की सरकारों ने रोक लगाने की कोशिश की थी लेकिन अवैध खनन फिर से जारी है. केंद्र और राज्य सरकार को इससे बड़ा राजस्व का नुकसान हो रहा है. सरकार को इस पर तुरंत रोक लगाना चाहिए. लीज माइनिंग जब तक नहीं होगी तब तक अवैध खनन होते रहेंगे.

दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं बेशकीमती पत्थर

साल 2012 में खनन विभाग की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी सिंहभूम के करीब 4000 एकड़ में नीलम हो सकता है. इसके बाद कई कंपनियों ने खुदाई के लिए आवेदन दिए लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया है. इसके बाद नक्सलियों ने यहां अपनी गतिविधियां बढ़ा दी. जानकारों की मानें तो अवैध खुदाई के लिए नक्सलियों ने व्यापारियों और पुलिस से मिलीभगत कर रखी है. बेशकीमती पत्थरों की अवैध खुदाई के लिए पारखी मजदूरों की खूब मांग है. यहां से निकाले गए नीलम और पन्ना की बिक्री पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान में की जाती है.

झारखंड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राहत हुसैन ने बताया कि पत्थर निकालने वाले लोग पहाड़ के अंदर सुरंग से इसे निकालते हैं. दिल्ली और राजस्थान के व्यापारी इसे खरीद कर ले जाते हैं, वहां तराशने के बाद इसे ऊंचे दाम में बाजार में बेज देते हैं.

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पुलिस को पुष्टि का इंतजार

पूर्वी सिंहभूम जिले के ग्रामीण एसपी सुभाषचंद्र जाट इसे एक गंभीर मामला मानते हैं. ईटीवी भारत को उन्होंने बताया कि इस संबंध में वे राजस्व और वन-पर्यावरण विभाग के अधिकारियों से बात करेंगे. हालांकि चौंकाने वाली बात ये है कि उन्हें इस संबंध में कोई जानकारी ही नहीं थी. उन्होंने कहा कि ये एक संगीन मामला है. इसमें थाना प्रभारी, राजस्व और वन विभाग ये सभी स्टेक होल्डर हैं. इसमें एकीकृत अप्रोच की जरूरत है. पहले ये पुष्टि होने की जरूरत है कि अवैध उत्खनन हो रहा है. इसके लिए सभी स्टेक होल्डर को अवैध गतिविधि होने पर कार्रवाई की सूचना दी गई है.

पूर्वी सिंहभूम का ये इलाका वन भूमि है और वन मुआवजा कानून के तहत यहां खनन के लिए केंद्र सरकार की मंजूरी जरूरी है. इस मामले में एक तरफ राज्य सरकार का रुख सुस्त है तो दूसरी ओर केंद्र से भी कोई पहल नहीं की गई है. लिहाजा बेशकीमती पत्थरों की अवैध खुदाई के लिए कहीं न कहीं केंद्र और राज्य दोनों सरकारें भी जिम्मेदार हैं.

नीलम और पन्ना की खासियत

नीलम एक खनिज है. आमतौर पर ये नीले रंग का होता है. हालांकि ये लाल के अलावा अन्य रंगों का भी होता है. ज्योतिष के अनुसार नीलम का संबध शनि ग्रह से होता है. मान्यता है कि नीलम का सकारात्मक परिणाम धारण करने वाली व्यक्ति को सुख-संपदा और ऐश्वर्य से परिपूर्ण बना देता है और यदि नतीजे नकारात्मक रहे तो व्यक्ति को भिखारी भी बना देता है. रंग, पारदर्शिता, चमक, तराशने की गुणवत्ता, ट्रीटमेंट और नीलम मिलने के स्थान के आधार पर ये 500 रुपए प्रति रत्ती से लेकर 50,000 रुपए प्रति रत्ती तक मिलता है. पन्ना का संबंध बुध ग्रह से है. ये हरे रंग के अलावा हल्के से गहरे तक कुल 5 रंगों में पाया जाता है. रंग, रूप, चमक, वजन और पारदर्शिता के अनुसार इसका मूल्य 500 से लेकर 5 हजार रुपए प्रति रत्ती तक मिलता है.

Last Updated : Dec 3, 2020, 7:38 PM IST

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