जमशेदपुरः झारखंड को कुदरत ने अनमोल खजाना बख्शा है. पूर्वी सिंहभूम जिले के डुमरिया, गुड़ाबांधा और मुसाबनी में बेशकीमती नीलम और पन्ना तक पाए जाते हैं. ये दोनों सुपर मेजर मिनरल्स का ज्योतिष में खास महत्व है. गहनों के तौर पर भी इसे बेहद पसंद किया जाता है. कहते हैं नीलम पहनने वालों की किस्मत रातों-रात बदल जाती है लेकिन पूर्वी सिंहभूम में इसके पाए जाने पर भी न तो लोगों की किस्मत बदली और न ही यहां की तस्वीर.
जमशेदपुर से करीब 50 किलोमीटर दूर डुमरिया, गुड़ाबांधा और मुसाबनी का इलाका घोर नक्सल प्रभावित है. इस इलाके में 1000 से 1500 फीट ऊंचाई वाली करीब 45 पहाड़ियां हैं. इन पहाड़ों का लीज नहीं हो पाया है. यहां नक्सली अपनी सरपरस्ती में बेशकीमती पत्थरों का अवैध खनन करवाते हैं. सरकार और प्रशासन के पास इसका कोई हिसाब नहीं कि यहां से कितना नीलम और पन्ना अवैध तरीके से निकाला जा रहा है. एक अनुमान के अनुसार इससे राज्य सरकार को हर साल करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है.
एआईएमआईएम के स्थानीय नेता रियाज़ अहमद शरीफ़ ने ईटीवी भारत को बताया कि सिंहभूम के गुड़ाबांधा और डुमरिया में नीलम और पन्ना का अवैध खनन पहले भी होता रहा है. पूर्व की सरकारों ने रोक लगाने की कोशिश की थी लेकिन अवैध खनन फिर से जारी है. केंद्र और राज्य सरकार को इससे बड़ा राजस्व का नुकसान हो रहा है. सरकार को इस पर तुरंत रोक लगाना चाहिए. लीज माइनिंग जब तक नहीं होगी तब तक अवैध खनन होते रहेंगे.
दूसरे राज्यों में भेजे जाते हैं बेशकीमती पत्थर
साल 2012 में खनन विभाग की एक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार पूर्वी सिंहभूम के करीब 4000 एकड़ में नीलम हो सकता है. इसके बाद कई कंपनियों ने खुदाई के लिए आवेदन दिए लेकिन कोई फैसला नहीं लिया गया है. इसके बाद नक्सलियों ने यहां अपनी गतिविधियां बढ़ा दी. जानकारों की मानें तो अवैध खुदाई के लिए नक्सलियों ने व्यापारियों और पुलिस से मिलीभगत कर रखी है. बेशकीमती पत्थरों की अवैध खुदाई के लिए पारखी मजदूरों की खूब मांग है. यहां से निकाले गए नीलम और पन्ना की बिक्री पश्चिम बंगाल, ओडिशा और राजस्थान में की जाती है.
झारखंड ह्यूमैनिटी फाउंडेशन के उपाध्यक्ष राहत हुसैन ने बताया कि पत्थर निकालने वाले लोग पहाड़ के अंदर सुरंग से इसे निकालते हैं. दिल्ली और राजस्थान के व्यापारी इसे खरीद कर ले जाते हैं, वहां तराशने के बाद इसे ऊंचे दाम में बाजार में बेज देते हैं.