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जमशेदपुर में श्वान प्रतियोगिता का आयोजन, जानें क्या हैं रूल - श्वानों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन

जमशेदपुर में श्वानों के लिए तीन दिवसीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इसके लिए सभी श्वानों को कई स्तर से गुजरना होगा. यह प्रतियोगिता 3 जजों की मौजूदगी में की जाएगी.

competition for dogs
श्वान प्रतियोगिता का आयोजन

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Published : Jan 11, 2020, 7:57 AM IST

Updated : Jan 11, 2020, 5:15 PM IST

जमशेदपुरः अगर आप श्वान को पालते हैं तो यह खबर आपके लिए है, आपको शायद ही पता होगा कि आपके कुत्ते की रैकिंग भी होती है. पिछले पांच सालों से पाले जाने वाले कुत्तों का ऑल इंडिया रैकिंग किया जा रहा है, लेकिन इसके लिए आपको अपने श्वान के साथ डॉग शो में भाग लेना होगा.

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इस प्रतियोगिता में शामिल होने के लिए ये जानना है कि आपका डॉग अपने काम के प्रति कितना वफादार है. इसके लिए बकायदा सात कैटेगरी में उन श्वानों को भाग लेना पड़ेगा और कैटेगरी पास होने के बाद आपको रैकिंग मिलेगी, लेकिन इन सबों के लिए एक ट्रेनर भी रखना पड़ेगा ताकि आपके श्वान की देखभाल के साथ-साथ ट्रेनिंग भी दे सके.

जमशेदपुर के जेआरडी टाटा स्पोर्टस कॉम्पलेक्स के आर्चरी ग्राउंड में तीन दिवसीय डॉग शो आयोजन किया जा रहा है. जमशेदपुर केनाल क्लब की ओर से आयोजित इस डॉग शो में पहले दिन आज्ञाकारी श्वानों के लिए प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है. जिसमें श्वानों के कार्य करने की क्षमता देखी जा रही है. इस प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए राज्य के कोने-कोने से लोग अपने पालतू श्वान को लेकर आए हैं.

इस प्रतियोगिता में 56 श्वान भाग ले रहे हैं. तीन जजों की मौजूदगी में इस आज्ञाकारी टेस्ट में यह चेक किया जा रहा है कि डॉग कितना आज्ञाकारी है. इसमें से 1 सी लेकर 7 तक इन श्वानों को क्वॉलिफिकेशन देखा जाता है. जिसमें सी 1 प्राइमरी लेबल, सी-2 पीसफुल लेबल, सी-3 हाई स्कूल लेबल, सी-5 ग्रेजुएट लेबल, सी-6 पोस्ट ग्रेजुएट और सी-7, 170 -250 नबंर की परीक्षा ली जाएगी.

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इसमें अगर कोई कुत्ता 170- अंक लाता है, तो इन श्वानों का उपयोग मेडिकल क्षेत्रों में ज्यादा किया जाता है. खासकर दिव्यांग या ब्लांइड को इस प्रकार के श्वान ज्यादा मदद करते हैं. इन श्वानों के नाम के आगे CD लगाए जाते हैं. C-6 इसकी सबसे कठिन परीक्षा होती है. इसमें पास होने के लिए 250-300 से ज्यादा अंक लाना पड़ता है और यह अंक तीन जजों ने इन्हें अंक दिया जाएगा. ऐसे श्वानों के नामों के आगे CH लगाया जाता है. समान्यत ऐसे श्वान का उपयोग पुलिस के अलावा बड़े-बड़े कॉरपोरेट में सुरक्षा के दृष्टिकोण से रखा जाता है.

विशेषज्ञों के माने तो एक श्वान को तीन साल के अंदर परिपक्व हो जाना चाहिए, क्योंकि इन कुत्तों का आठ साल तक ही उपयोग किया जा सकता है. बकायदा अगर इस प्रकार के श्वान किसी कंपनी या कॉरपोरेट में काम करते हैं तो आठ साल के बाद उनको पेंशन दिया जाता है, इसलिए अगर आप कुत्ता पालते हैं तो रैंकिग के लिए जरूर प्रयास करें. क्योंकि अगर आपके कुत्ते की रैंकिग अच्छी रहती है तो वह आपके लिए रोजगार का साधन भी हो सकता है.

Last Updated : Jan 11, 2020, 5:15 PM IST

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