जमशेदपुर: झारखंड दौरे पर पहुंचे भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के राष्ट्रीय महामंत्री संजय निर्मल ने झारखंड सरकार पर निशाना साधा है. उन्होंने कहा कि सरकार राज्य की जनता को पोषण, स्वास्थ्य, शिक्षा, शुद्ध पेयजल, बिजली, सड़क, मूलभूत सुविधाएं आदि देने में सक्षम साबित नहीं हो रही है. उन्होंने कहा कि इस तरह की नाकाम सरकार को इस्तीफा दे देना चाहिए.
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झारखंड की विधि व्यवस्था खराब:संजय निर्मल ने राज्य की विधि व्यवस्था को लेकर भी सरकार पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि राज्य की विधि व्यवस्था चरमराई हुई है. राज्य की महिला असुरक्षित है. प्रतिदिन औसतन 5 हत्याएं राज्य में हो रही हैं. मॉब लिंचिंग की घटनाएं आम है. उन्होंने कहा कि संजू प्रधान की हत्या भीड़ द्वारा पुलिस के सामने में कर दी जाती है और अभी तक उस पर सरकार मौन बनी हुई है. राज्य में अनुसूचित जाति समाज का जाति प्रमाण पत्र नहीं बनने के कारण समाज के युवाओं को नौकरी या अन्य रोजगार में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना का राज्य में लागू नहीं किया जाना सरकार की हीन भावना को दर्शाता है.
तीन दिनों के प्रवास का दिया ब्यौरा:संजय निर्मल ने कहा कि वे झारखंड के तीन दिवसीय प्रवास पर हैं. जिसके तहत पहले दिन उन्होंने रांची में प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक में भाग लिया. सके बाद उन्होंने गोंदा मंडल के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. उसके बाद रांची के कमड़े स्थित राजकीय अनुसूचित जाति आवासीय छात्रावास के छात्रों से मिले. उन्होंने बताया कि दूसरे दिन के प्रवास में जमशेदपुर के जमशेदपुर महानगर जिला एवं मंडल के पदाधिकारियों के साथ बैठक की. उसके बाद देवपुर के नव जीवन आश्रम में वहां रह रहे हैं लोगों से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि उनके प्रवास का उद्देश्य राज्य में भारतीय जनता पार्टी संगठन को मजबूत करना है. ताकि आने वाले समय में भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधि झारखंड राज्य के लिए बेहतरीन कार्य कर सकें.
हेमंत को पद से हटाना शर्म की बात:भारतीय जनता पार्टी अनुसूचित जाति मोर्चा के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि झारखंड देश का पहला राज्य है जहां के मुखिया अपने मुलाजिम से दरख्वास्त करते हैं कि उसे 48 एकड़ जमीन खनन के लिए दिया जाए और उस जमीन को वे अपने भाई, निजी सहायक, मुख्यमंत्री प्रतिनिधि, पत्नी के बीच में बांट देते हैं. झारखंड सरकार के मुखिया का यह काम पूरे देश के लिए हास्यास्पद है. उन्होंने कहा कि भारत निर्वाचन आयोग ने हेमंत सोरेन को नोटिस भेजा है. यदि हेमंत सोरेन को पद से हटाया जाता है तो यह राज्य के लिए शर्म की बात होगी. ऐसे में नैतिकता के आधार पर झारखंड के मुख्यमंत्री को अपने पद से इस्तीफा दे देना चाहिए.