घाटशिला/जमशेदपुर: झारखंड में आदिम जाति सबर विलुप्ति के कगार पर है इन्हें बचाने के लिए सरकार कई तरह के कार्यक्रम चला रही है. बावजूद इसके मुसाबनी प्रखंड के ऊपरबाधा गांव के सबर टोला में सबर लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. उनके घरों की हालत इतनी खराब है कि वहां रहना मुश्किल है. कभी घर की छत टूट कर गिर जाती है तो किसी के घर में दरवाजे तक नहीं हैं.
झारखंड की इस आदिम जाति की समस्याएं नहीं हो रही कम, नारकीय जीवन जीने को मजबूर
मुसाबनी प्रखंड का एक ऐसा गांव है जहां सरकारी दावे खोखले साबित हो रहे हैं. गांव के सबर टोला में लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. कहीं लोगों के घर की छत टूट कर नीचे गिर रही है तो कुछ घरों में दरवाजे तक नहीं है. सालों से लोग इसी हालत में गुजर-बसर करने को मजबूर हैं. प्रशासन के लोग आते हैं सर्वे करते हैं और चले जाते हैं. इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की जाती.
सबर जाति आदिवासी जनजातियों में से एक है सरकार लगातार इन जनजातियों के लिए अनेक कल्याणकारी योजनाएं लाती है. दावा किया जाता है कि योजनाए सफल हो रही हैं. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है. सबर टोला में न तो प्रधानमंत्री आवास है और न ही बिरसा आवास.
35-40 साल पहले बने इंदिरा आवास बेहद जर्जर हैं और अब टूटने की कगार पर हैं. बरसात के दिनों में लोगों का यहां रहना और मुश्किल हो जाता है. कई बार आवेदन देने के बाद भी प्रशासन की तरफ से इन्हें किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है.