हजारीबाग:सरस्वती पूजा की धूम चारों ओर देखने को मिल रही है. मूर्तिकार मां सरस्वती की प्रतिमा बनाने में व्यस्त हैं. आम तौर पर आपने सिर्फ पुरुषों को ही मूर्ति बनाते देखा होगा है. लेकिन हजारीबाग में महिलाओं का एक समूह मूर्ति बना रहा है. इस काम में इनकी मदद कर रहा है झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS). इन महिलाओं को 15000 रुपए की आर्थिक मदद दी जाती है जिसकी मदद से वे काफी अच्छा कमा लेती हैं.
महिला शिल्पकार गढ़ रहीं मां सरस्वती की प्रतिमा, JSLPS ने की आर्थिक मदद
हजारीबाग में सरस्वती पूजा काफी धूमधाम से मनाई जाती है. गली मोहल्लों में मां सरस्वती की प्रतिमा बैठाई जाती है और फिर उनकी आराधना की जाती है. इस बार सरस्वती पूजा में ऐसी भी प्रतिमाएं होंगी जिनकी शिल्पकार महिलाएं हैं. झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (JSLPS) की मदद से महिलाएं प्रतिमा बना रही हैं और अपनी जीविका चला रही हैं.
हजारीबाग में कटकमदाग प्रखंड के हथामेढी में लगभग एक दर्जन महिला समूह काम कर रहा है. इनमें से एक है पलक सखी मंडल. जिसके सदस्य इन दिनों मूर्ति बनाने के काम में व्यस्त हैं. मूर्ति को आकार देने में पलक सखी मंडल की बेबी देवी के पति मदद करते हैं और उसके बाद पूरा काम सखी मंडल की महिलाएं करती हैं. जिसमें मूर्ति को सजाना, तैयार करना समेत अन्य काम शामिल है. सखी मंडल की बेबी देवी कहती हैं वे लोग आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं इस कारण मूर्ति भी नहीं बना पाती थी. क्योंकि मूर्ति बनाने में पैसे खर्च होते हैं. इस बार उनकी मदद सखी मंडल ने उनकी मदद की और झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने लगभग 15000 रुपए की आर्थिक मदद राशि दी. उस राशि से उन लोगों ने मूर्ति बनाने का सामान खरीदा और काम में जुट गईं. महिलाओं का कहना है कि उन्होंने 5000 रुपए में मूर्ति बनाने के सामान लाया और अब वे 25 से 30000 रुपए कमा रही हैं.
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सखी मंडल में कई अन्य महिलाएं भी हैं. ऐसे में पलक सखी मंडल की सदस्य बेबी देवी उन सभी को प्रशिक्षण देती हैं, ताकि वे आने वाले समय में मूर्ति बनाएं और अपनी जीविका चला सकें. उनका कहना है कि कुछ महिलाएं हैं जो उन्हें मदद करती हैं ऐसे में वे भी कुछ पैसे कमा पा रही हैं.
झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी के कोऑर्डिनेटर बताते हैं कि वे लोग सखी मंडल को सरकार से मदद दिलाते हैं. पलक सखी मंडल को भी 15000 रुपए की मदद राशि की दी गई और उस राशि का उन्होंने सदुपयोग किया है. जिसका परिणाम भी दिख रहा है. हजारीबाग की इन महिलाओं ने साबित कर दिया कि कोई भी काम असंभव नहीं है. जरूरत है सिर्फ आत्मविश्वास के साथ काम शुरू करने की.