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हजारीबाग में तरबूज की खेती से बदली 800 महिलाओं की जिंदगी, बनाई अलग पहचान - डीसी नैंसी सहाय

हजारीबाग में 800 महिलाओं के एक समूह ने तरबूज की खेती कर अपनी अलग पहचान बनाई है. तरबूज की खेती में जुटी महिलाओं के हौसले को देखकर कई संस्था भी उनकी मदद के लिए आगे आयी है. डीसी नैंसी सहाय ने इन महिलाओं की सफलता को टीम वर्क का शानदार उदाहरण बताया है.

Watermelon cultivation in Hazaribagh
हजारीबाग में तरबूज की खेती

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Published : Apr 29, 2022, 9:15 AM IST

Updated : Apr 29, 2022, 2:28 PM IST

हजारीबाग: कभी घूंघट में छिपकर दबे सहमे कदमों से पुरूषों के साथ घर की दहलीज पार करने महिलाएं आज सशक्त हो गई है. खुद को साबित कर रही है ये महिलाएं उन क्षेत्रो में भी सफलता हासिल कर रही हैं जिनपर कभी पुरूषों का एकाधिकार था. हजारीबाग की 800 महिलाओं का एक समूह भी कुछ ऐसा ही करने में जुटा है. इन महिलाओं ने 200 एकड़ में तरबूज की खेती कर अपनी अलग पहचान बनाई है.

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चुरचू में तरबूज की खेती: एकता में बल है ये कहावत तो सभी जानते हैं लेकिन चुरचू की महिलाओं ने इसे आत्मसात कर लिया. इन महिलाओं ने चुरचू नारी ऊर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड बनाकर 200 एकड़ जमीन पर तरबूज की खेती शुरू की. इनके खेतों से उपजे तरबूज की क्वालिटी इतनी अच्छी है कि उसकी बंपर बिक्री हो रही है. तरबूज की बिक्री से उत्साहित महिला किसानों ने लगभग 25 से 30 लाख रुपये की बिक्री का लक्ष्य रखा है जिसमें लगभग 17 लाख रुपये तरबूज की बिक्री हो चुकी है.

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बंजर जमीन पर खेती से मुनाफा: कंपनी कि डायरेक्टर सुमित्रा देवी बताती है कि हम लोगों ने उन महिलाओं को खेती के लिए प्रेरित किया जिनका जमीन खाली पड़ा हुआ था. इस जमीन पर महिलाओं ने खूब मेहनत किया और आज यह परिणाम है कि हमारे तरबूज खूब बिक रहे हैं. चुरचू नारी उर्जा फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी की गीता देवी कहती हैं कि जिस जमीन पर हम लोग खड़े हैं वह एक समय बंजर था. जहां खेती करना असंभव था. लेकिन हम महिलाओं ने मिलकर इसे खेती के लायक बनाया.

हजारीबाग में तरबूज की खेती

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महिलाएं देख रही है सपना: तरबूज की खेती करने वाली महिलाओं ने अब सपना देखना भी शुरू कर दिया है. महिलाओं का कहना है कि इस बार हम लोगों ने बृहद पैमाने पर खेती किया है. हम लोगों को अब पैसा भी आना शुरू हो गया है. जो खेत बंजर पड़े थे उस खेत से आज सोना निकल रहा है. हम लोग जब खेती किए थे उस वक्त सोचे भी नहीं थे कि इतना अच्छा पैदावार होगा .अच्छा पैदावार होने के साथ बिक्री भी अच्छी हो रही है. जो पैसा हम लोग कमाएंगे उससे अपना घर बनाएंगे और बच्चे को प्राइवेट स्कूल में भेज कर पढ़ाई करवाएंगे

तरबूज ले जाती महिलाएं

कई संस्थाएं कर रही है मदद: तरबूज की खेती में जुटी महिलाओं के हौसले को देखकर कई संस्था भी उनकी मदद के लिए आगे आयी है. जोहार, जेएसएलपीएस, सिनी टाटा ट्रस्ट, सपोर्ट जैसी संस्था इनकी मदद कर रही है. कंपनी के सीईओ बताते हैं कि हम लोग यहां के तरबूज बंगाल उड़ीसा बिहार तक भेज रहे हैं. उनका कहना है कि हम लोग विभिन्न क्लस्टर बनाकर महिलाओं को मदद करते हैं.

महिलाओं से सीखने की जरूरत:जिले की डीसी नैंसी सहाय कहती हैं कि इन महिलाओं की सफलता टीम वर्क का एक बेहतरीन उदाहरण है. उन्होंने कहा कि अब हम लोग इनके इस मॉडल को दूसरे गांव में भी ले जाएंगे ताकि वहां की महिलाएं भी इसी तरह खुद को सशक्त कर पाए .हजारीबाग उपायुक्त ने यह भी कहा कि हाई वैल्यू एग्रीकल्चर कैसे किया जाए और फिर कैसे अपना उत्पाद बेचा जाए यह भी इन महिलाओं से सीखने की जरूरत है.

Last Updated : Apr 29, 2022, 2:28 PM IST

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