हजारीबाग: मकर संक्रांति के अवसर पर तिलकुट का खास महत्व होता है. हिंदू धर्म में इस दिन तिल का सेवन कर नए साल का भी स्वागत करते है. इस अवसर पर हजारीबाग में भी तिलकुट का बाजार सज चुका है लेकिन इस बाजार की खासियत यह है कि दूसरे जिले के कारीगर आकर तिलकुट बना रहे हैं. चतरा, टंडवा, बालूमाथ, गया के कारीगर यहां तिलकुट बना रहे हैं. हजारीबाग के कॉल टैक्स चौक जिसे खाजा चौक के नाम से जानते हैं यहां कई दशकों से तिलकुट की बिक्री की जाती रही है.
कई जगहों पर सज चुका है तिलकुट की दुकान
इसके अलावा भी मेन रोड, इंद्रपुरी, झंडा चौक, बंसीलाल चौक सहित दर्जनों स्थानों पर तिलकुट के दुकान पर तिलकुट बिक रहा है. तिलकुट के व्यवसाई कहते हैं कि तिलकुट पूरे बाजार को नहीं खिला पाते हैं. इसे देखते हुए दूसरे शहर से तिलकुट बनाने वाले को यहां बुलाते हैं जो इसे बनाने में निपुण भी है ताकि तिलकुट का स्वाद में कोई कमी न रह जाए. इस कारण लोग अच्छे कारीगर को बुलाकर यह विशेष पकवान बनाते हैं.
वहीं, कारीगरों का कहना है कि पारंपरिक तरीका से तिलकुट बनाते हैं ताकि तिलकुट की क्वालिटी बरकरार रहें. तिलकुट की क्वालिटी उसके कुरकुरे पन पर निर्भर करता है. जिसमें गर्म पानी, चीनी, तिल और नींबू डालना होता है. अगर थोड़ा सा भी सम्मान में ऊपर नीचे हुआ तो स्वाद ही खराब हो जाता है. ऐसे में विशेष रूप से ध्यान रखा जाता है.