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हजारीबाग: हजारों की संख्या में छात्राओं ने निकाली आक्रोश रैली, लगाई वी वॉन्ट जस्टिस के नारे

हैदराबाद में महिला चिकित्सा के साथ सामूहिक दुष्कर्म और निर्मम हत्या के विरोध में हजारीबाग में हजारों की संख्या में छात्राओं ने आक्रोश रैली निकाली और उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा. इसके साथ ही गुहार लगाई कि हजारीबाग में भी सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किया जाएं.

Students take out rally against case of Hyderabad
न्याय की गुहार लगाते छात्र

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Published : Dec 3, 2019, 10:59 PM IST

हजारीबाग: हैदराबाद में भले ही महिला चिकित्सक के साथ सामूहिक दुष्कर्म हुआ हो लेकिन उसका विरोध हजारीबाग में भी देखने को मिल रहा है. हजारीबाग विमेंस कॉलेज की हजारों की संख्या में छात्राओं ने मंगलवार को उपायुक्त कार्यालय का घेराव किया और वी वाॉन्ट जस्टिस का नारा लगाया. उन्होंने कहा कि न कोई सुनवाई की जाए न तारीख डाली जाए जितनी जल्दी हो आरोपियों को सजा-ए-मौत दी जाए. सरेआम फांसी पर लटकाया जाए तभी हैदराबाद की महिला चिकित्सा की आत्मा को शांति मिलेगी.

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छात्राओं ने की उचित सुरक्षा की मांग
हजारीबाग में छात्राओं ने सरकार से मांग भी की है कि महिलाओं को उचित सुरक्षा मुहैया कराई जाए. अगर कोई गलत काम करता है तो उसके खिलाफ कड़े कानून होना चाहिए ताकि लोगों का रूह कांप जाए और इस तरह की घटना दोबारा न हो.

सरकार को जरूरत है कड़े नियम बनाने की
वहीं, झारखंड में विधानसभा चुनाव भी हो रहा है ऐसे में वैसी छात्राएं जो पहली बार मतदान करने जा रही है उन्होंने भी अपने मांग रखा है और कहा है कि सरकार और जिला प्रशासन को सुरक्षा को लेकर किसी भी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए. बड़े-बड़े नेता और पार्टी उन्हें अपने मेनिफेस्टो में महिला सुरक्षा को विशेष स्थान देना चाहिए. उन्होंने आरोप लगाया कि एक ओर सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा बुलंद कर रही है लेकिन देश में न बेटी पढ रही है न आगे बढ़ रही है. वह अपना इज्जत बचाने के लिए हर रोज संघर्ष कर रही है. ऐसे में जरूरत है सरकार को कड़े नियम बनाने की.

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बेटियों को घरों से बाहर निकलना हुआ मुश्किल
छात्राओं ने यह भी कहा कि हजारीबाग जैसे छोटे शहर में भी अब घर के माता-पिता बेटियों को बाहर पढ़ने के लिए नहीं भेज रहे हैं. यहां तक कि ट्यूशन भी अब बंद कराया जा रहा है क्योंकि उन्हें शक है कि ऐसी घटना कहीं हजारीबाग में न घट जाए.

इस घटना ने पूरे समाज को शर्मसार किया है और छात्राओं का आक्रोश इस बात की ओर इशारा करता है कि उन्हें अब सरकार से यह उम्मीद है कि वह ऐसे कानून बनाए कि उसके भय से कोई भी व्यक्ति इस तरह की घटना को अंजाम न दे सके.

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