हजारीबाग: जिले के बड़कागांव को ऐतिहासिक क्षेत्र के रूप में देखा जाता है. यहां कई ऐसे धरोहर हैं जो पूरे विश्व में अपनी विशेष पहचान बनाते हैं. इन्हीं में से एक है हजारीबाग की 'इसको गुफा'. इसको गुफा अपने शैल चित्रों के लिए प्रसिद्ध है. कहा जाता है कि मध्य पाषाण युग की यह चलचित्र है. पुरातात्विक नेताओं ने इस स्थान की खुदाई भी की है और यहां रिसर्च भी किया है. जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यह पेंटिंग 10 हजार वर्ष पुरानी है. इस गुफा के चट्टानों पर विभिन्न देवी-देवताओं के चित्र के साथ प्रकृति से जुड़े हुए चित्र भी देखे जा सकते हैं.
'इसको गुफा' एक ऐतिहासिक धरोहर
हजारीबाग से लगभग 40 किलोमीटर दूर बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र में इसको गुफा ऐतिहासिक धरोहर के रूप में है. यहां के शैल चित्र कई मायनों में अद्भुत हैं. वहीं, विदेशी पुरातात्विक नेताओं ने भारत के अन्य जगह की शैल चित्रों के मुकाबले 'इसको' के चित्र को सर्वाधिक उन्नत माना है.
इसको गुफा में मुख्य रूप से तीन धाराएं हैं. इसमें मानव और पशु आकृतियों की भरमार है. इस गुफा में शिकार के चित्र स्वभाविक रूप से तो है ही इसके साथ ही विभिन्न प्रकार के पक्षी, चंद्रमा, सूर्य और कमल के चित्रों की कारीगरी भी देखते बनती है. जैसे शैल चित्रों का सचमुच मानो कोई लिखित दस्तावेज हो. यह चित्र गिरु और खगड़िया (चित्र बनाने के लिए उपयोग किए जाने वाले सामान) के सहयोग से बनाए गए हैं. साथ ही इसे बनाने के लिए वनस्पतियों का भी प्रयोग हुआ है जिससे हजारों साल बाद भी इन चित्रों की ताजगी बनी हुई है रंग धूमिल नहीं हुई.
सुमेर घाटी की सभ्यता से है जुड़ाव
इन ऐतिहासिक शैल चित्रों के आधार पर यह माना जाता है कि कोहबर कला झारखंड के बड़कागांव से शुरू हुई थी. इसका प्रमाण दामोदर घाटी सभ्यता की प्राचीन इसको गुफा के शैल चित्रों को देखने से मिलता है. इतिहासकारों के अनुसार इसको गुफा के शैल चित्र सुमेर घाटी सभ्यता के समकक्ष माने जाते हैं.
सुमेर घाटी सभ्यता विश्व की सबसे प्राचीन सभ्यता मानी जाती है. क्षेत्र की इसको पहाड़ियों की गुफाओं में आज भी इस कला के नमूने देखे जा सकते हैं. कहा जाता है कि रामगढ़ राज्य के राजाओं ने इस कला को काफी प्रोत्साहित किया. इस वजह से यह कला गुफा की दीवारों से निकलकर घरों की दीवारों पर अपना स्थान बना पाने में सफल हुई.
नाग के फन की आकृति वाली दीवार पर शैल चित्रों की श्रृंखला
हजारीबाग से लगभग 55 किलोमीटर दूर अवसारी पहाड़ी श्रृंखला की 'क्षति पहाड़ी' पर नाग के फन की आकृति वाली लगभग 2500 वर्ग फीट की दीवार पर शैल चित्रों की श्रृंखला बनी हुई है. इस क्षेत्र में काम कर रहे बुलु इमाम के अनुसार इसको में कोहबर गुफा पॉलिश किया हुआ पाषाण स्लेट प्राप्त हुआ है, जो 4 हजार ईसा पूर्व के आसपास का है.