हजारीबाग: जिले में पिछले 5 दिनों से ग्रामीण, रैयत और प्रशासन आमने-सामने थे. ग्रामीणों ने एनटीपीसी से 30 सूत्री मांग की है. जिसमें स्थानीय को नौकरी, प्रदूषण की समस्या से निजात दिलाना और उचित मुआवजा मुख्य है. ऐसे में ग्रामीण लगातार आंदोलन कर रहे हैं. जिसके कारण कोयले का उठाव 5 दिनों से बंद था. रविवार को प्रशासन ने सख्ती बरतते हुए ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया.
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पुलिस ने धरना पर बैठे लोगों पर आंसू गैस के गोले भी दागे. इतना ही नहीं रबर बुलेट का भी उपयोग किया गया. इस घटना में दो दर्जन से अधिक ग्रामीण और एक दर्जन से अधिक पुलिस वाले घायल हैं. ग्रामीणों ने भी पुलिस पर पथराव किया है. जिससे तीन डीएसपी, 4 थाना प्रभारी समेत कई जवान घायल हैं.
हजारीबाग में एनटीपीसी के खिलाफ आंदोलन कोई नया नहीं है. बड़कागांव हो या बानादाग यहां पिछले कई सालों से रैयत कंपनी और किसान आमने-सामने हुए हैं. एक बार फिर बानादाग कोल साइडिंग खून से लहूलुहान हो गया. ग्रामीण पिछले 5 दिनों से अपने 30 सूत्री मांग को लेकर धरने पर बैठे थे. धरने के कारण कोयला परिचालन ठप था. सैकड़ों कोयला लदे हाइवा सड़क पर थे. ग्रामीणों की मांग है कि एनटीपीसी समस्याओं के समाधान के लिए वार्ता करे. अन्यथा कोयला परिचालन ठप रखा जाएगा. पिछले 5 दिनों से जिला प्रशासन की तरफ से ग्रामीणों से वार्ता की जा रही थी. लेकिन वार्ता विफल रही. ऐसे में रविवार को पुलिस ने ग्रामीणों पर लाठीचार्ज कर दिया है. इस लाठीचार्ज में 2 दर्जन से अधिक ग्रामीण घायल हैं. वहीं पुलिस पर भी ग्रामीणों ने पथराव किया है, जिससे 1 दर्जन से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए हैं. जिसमें चार थाना के प्रभारी, 3 डीएसपी और कई जवान शामिल हैं.