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राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रमः धीमी रफ्तार के बीच 2025 तक भारत कैसे होगा टीबी मुक्त? - TB Elimination Program in Hazaribag

देश में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (National TB Elimination Program) की शुरुआत की गई है. हजारीबाग में भी इस कार्यक्रम को गति दी जा रही है. लेकिन जिला में टीबी उन्मूलन कार्यक्रम का पैसा मरीजों को नहीं मिल रहा है. जिससे इसकी रफ्तार यहां काफी धीमी है.

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राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम

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Published : Sep 16, 2021, 6:08 PM IST

Updated : Sep 16, 2021, 8:59 PM IST

हजारीबागः टीबी एक जानलेवा बीमारी है, इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय जागरुकता है. अगर व्यक्ति संक्रमित है तो इसका इलाज भी संभव है. लेकिन ससमय इलाज शुरू करना भी उतना ही जरूरी है. पूरे देश में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम (National TB Elimination Program) की शुरुआत की गई है.

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हजारीबाग में भी इस कार्यक्रम को गति दी जा रही है. लेकिन सरकार की ओर से जो सहायता राशि दी जाती है, वह कई लोगों को अभी-भी नहीं मिल पा रहा है. दूसरी ओर हजारीबाग में हर साल 2000 के करीब नए मरीज भी मिल रहे हैं. ऐसे में टीबी से बचाओ और जागरुकता दोनों महत्व रखता है. लेकिन जिला में इसकी धीमी रफ्तार कई सवाल खड़े कर रहा है.

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यक्ष्मा (टीबी) एक जानलेवा बीमारी है, अगर समय से इलाज कराया जाए तो मरीज की जान भी बच सकती है. भारत सरकार ने लक्ष्य तय किया है कि साल 2025 तक देश को टीबी से मुक्त करना है. इसको लेकर पूरे देश में राष्ट्रीय यक्ष्मा उन्मूलन कार्यक्रम चलाया जा रहा है. वैश्विक स्तर पर भी पूरी दुनिया को साल 2030 तक मुक्त करने की योजना बनायी गयी है.

इस कार्यक्रम के तहत टीबी मरीजों की पहचान की जाएगी और उन्हें दवा दी जाएगी. साथ ही साथ उनके परिवार वालों की भी जांच की जाएगी ताकि यह जानकारी हो कि उनके परिजन तो इस बीमारी से संक्रमित नहीं हुए हैं. इसको लेकर हजारीबाग में भी व्यापक तैयारी चल रही है. झारखंड सरकार की ओर से 2 सितंबर से इस कार्यक्रम की शुरुआत की गई. इसी क्रम में हजारीबाग में भी टीबी उन्मूलन के लिए कार्य किया जा रहा है. 21 लाख की जनसंख्या के लगभग 50 प्रतिशत लोगों की टेस्ट करने का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें स्वास्थ्य कार्यकर्ता, सहिया और वॉलेंटियर की भी मदद ली जा रही है.


सरकार वैसे मरीज जो चिन्हित किए गए हैं, उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए हर महीने 500 की राशि पोषक भोजन के लिए देती है. लेकिन आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हजारीबाग में महज 74 फीसदी लोगों को ही इस योजना का पैसा मिल पा रहा है. अगर हजारीबाग की बात की जाए तो वर्तमान समय में 5 हजार 408 चिन्हित मरीज हैं, जिनमें से 4 हजार 008 लोगों को ही यह लाभ दिया जा रहा है.

क्या कहते हैं आंकड़े

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हजारीबाग के सिविल सर्जन बताते हैं कि कई ऐसे मरीज हैं, जिनके पास अकाउंट नहीं है तो कुछ ऐसे मरीज हैं जिनके पास पैन कार्ड नहीं हैं. जिस कारण हम लोग उनको पैसा नहीं दे पा रहे हैं. लेकिन परिस्थिति ठीक होगी और हर एक व्यक्ति को सरकार की ओर से जो लाभ दिया जाता है वो मुहैया कराया जाएगा.


स्वास्थ्य विभाग में अपनी सेवा देने वाले जिला यक्ष्मा पदाधिकारी बताते हैं कि टीबी एक काफी गंभीर बीमारी है, जो बैक्टीरिया से फैलता है. अगर घर में मरीज है तो वो आसपास के लोगों को भी संक्रमित कर सकता है. इस कारण हम लोगों को टीबी से बचने के लिए जागरूक होने की जरूरत है. अगर किसी को संक्रमण का लक्षण महसूस होता है तो उन्हें अस्पताल में आकर टेस्ट कराना चाहिए. टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर टीबी का इलाज चलता है. 6 महीने तक लोगों को दवा दिया जाता है और फिर प्रत्येक 6 महीने पर उसकी जांच की जाती है. 2 साल तक अगर व्यक्ति संक्रमित नहीं हुआ तो वह टीबी मुक्त माना जा सकता है.

टीबी के लक्षण

टीबी पर काम करने वाले स्वयंसेवी संगठन के लोग बताते हैं कि यक्ष्मा के कुछ लक्षण हैं. 2 सप्ताह से अधिक खांसी, लंबे समय से बुखार, रात में पसीना आना, वजन कम होना. अगर किसी को ऐसे लक्षण हैं तो तुरंत नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र जाकर जांच कराना चाहिए. उनका यह भी कहना है कि हजारीबाग में हर साल 2 हजार के करीब नए टीबी के मरीज चिन्हित किए जा रहे हैं. उनका कहना है कि वर्तमान समय में यक्ष्मा से बचाने के लिए लोगों को जागरूक किया जा रहा है. साथ ही साथ उन लोगों को दवा भी दिया जा रहा है, जो टीबी से ग्रस्त हैं. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि लोगों के मन में भ्रांति है कि एक बार अगर टीबी हो जाए तो मौत हो सकती है. इस भ्रांति को दूर करने की जरूरत है, अगर इलाज समय पर शुरू हुआ तो मरीज स्वस्थ भी हो सकता है.


निसंदेह टीबी एक खतरनाक और जानलेवा बीमारी है. लेकिन आम लोगों को जागरूक होने की जरूरत है. आसपास के लोगों को बताने की दरकार है कि टीबी होता क्या है, उससे ठीक होने के उपाय क्या हैं. लोगों के बीच व्यापक जागरुकता फैलाकर साल 2025 तक भारत के टीबी मुक्त होने का सपना पूरा हो पाएगा.

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क्या कहते हैं आंकड़े
झारखंड में 1 लाख 95 हजार 370 टीबी के मरीज चिन्हित किए गए हैं. जिनमें 1 लाख 64 हजार 792 मरीजों को सरकार की ओर से लाभ दिया जा रहा है. जिसमें सबसे अच्छी स्थिति गढ़वा की है, जहां 6 हजार 307 मरीज चिन्हित किए गए हैं, जिसमें 6 हजार 174 लोगों को लाभ दिया जा रहा है. अगर प्रतिशत की बात की जाए तो गढ़वा में 98 फीसदी लोगों को लाभ मिल रहा है. सबसे खराब स्थिति कोडरमा की है, जहां 1 हजार 530 लोग चिन्हित किए गए हैं, जिसमें 1 हजार 072 लोगों को लाभ दिया जा रहा है, जिसका प्रतिशत 70 है. राज्य में सबसे अधिक टीबी से संक्रमित मरीज रांची में हैं, जिनकी संख्या 26 हजार 303 है. इसके बाद पलामू 15 हजार 965, बोकारो 12 हजार 481, धनबाद 11 हजार 394, दुमका 11 हजा 561 और हजारीबाग 5 हजार 408 मरीज हैं.

Last Updated : Sep 16, 2021, 8:59 PM IST

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