हजारीबाग: बीएसएफ अर्थात सीमा सुरक्षा बल इस बल के कारण ही हम अपने घर पर आराम की नींद लेते हैं. लेकिन इस बल को तैयार करने में बहुत ही मेहनत की जरूरत होती है. हजारीबाग के मेरु कैंप में देश का प्रसिद्ध बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर है. जहां जवानों को तैयार किया जाता है. इस सेंटर में कई तरह की ट्रेनिंग दी जाती है जिसमें हथियार चलाने से लेकर कमांडो ट्रेनिंग तक शामिल है. लेकिन इस ट्रेनिंग सेंटर की पहचान पूरे देश भर में मोर्टार ट्रेनिंग को लेकर भी है.
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बीएसएफ का पूरे देश भर में कई ट्रेनिंग सेंटर है. लेकिन हजारीबाग ही एक ऐसा ट्रेनिंग सेंटर है जहां मोर्टार चलाने उसे रखने समेत अन्य विधाओं की जानकारी दी जाती है. देश के कोने-कोने से जवान यहां पहुंचते हैं और इसकी ट्रेनिंग लेते हैं. ताकि हमारे सीमा को सुरक्षित रखा जा सके. यह बेहद ही गोपनीय और संवेदनशील ट्रेनिंग माना जाता है. इस कारण इसका ना तो फोटोग्राफी हो सकती है और ना ही वीडियो रिकॉर्डिंग.
देखें एक्सक्लूसिव रिपोर्ट गोपनीय तरीके से ट्रेंनिंग
बीएसएफ के डीआईजी सुल्तान अहमद कहते हैं कि हम लोग बहुत ही गोपनीय तरीके से मोर्टार की ट्रेनिंग देते हैं. लेकिन सुरक्षा के दृष्टिकोण से अधिक कुछ नहीं कहा जा सकता है. एक बात अवश्य है कि बीएसएफ का मेरु ही एकमात्र ट्रेनिंग सेंटर है जहां इस विधा की संपूर्ण जानकारी जवानों को दी जाती है.
इन पर खास जोर
हथियार चलाने के समय कई बातों को ध्यान में रखने की जरूरत होती है. जैसे हथियार को टूट-फूट से बचाया जाए, जब हथियार चलाएं तो खुद को भी सुरक्षित रखा जा सके. टारगेट तय करना बेहद ही जरूरी होता है. हथियार चलाने के पहले और चलाने के बाद भी कई बातों पर विशेष रूप से ध्यान में रखने की जरूरत होती है. ऑपरेशन के दौरान यह जरूरी नहीं होता है कि हम लोग हमेशा एक ही तरह के हथियार का उपयोग करें.
ऑपरेशन के दौरान परिस्थिति को देखते हुए भी अलग-अलग तरीके के हथियार चलाने होते हैं. इन सारी बातों को ट्रेनिंग के दौरान बीएसएफ के जवानों बताया जाता है. ट्रेनिंग देने के लिए बीएसएफ के सबसे अंतिम हिस्से गोल्फ मैदान को डिवेलप किया गया है. निसंदेह हजारीबाग कई दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर हजारीबाग को पूरे देश भर में अलग पहचान भी देता है.
मोर्टार की ट्रेनिंग लेते जवान
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बीएसएफ ट्रेनिंग सेंटर में 1509 नए कॉन्स्टेबल्स को ट्रेनिंग दी जा रही है, जो आने वाले दिनों में ट्रेनिंग पाकर देश के लिए अपनी सेवा देंगे. इसमें असम, पॉन्डिचेरी, तेलंगाना, केरल और जम्मू कश्मीर के जवान हैं. यह ट्रेनिंग 44 हफ्ते चलेगी. बीएसएफइस सेंटर की खासियत ये है कि पूरे देश भर में बम डिफ्यूज और कमांडो ट्रेनिंग के लिए जाना जाता है. यहां मित्र देश के पुलिस पदाधिकारी भी आकर ट्रेनिंग पाते हैं.
1965 में हुआ था गठन
सीमा सुरक्षा बल भारत का प्रमुख अर्धसैनिक बल है. जो विश्व के सबसे बड़े सीमा रक्षक बल के रूप में जाना जाता है. इसका गठन 1 दिसंबर 1965 में हुआ था. जिसकी जिम्मेदारी भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर निरंतर निगरानी रखना है. इस समय बीएसएफ की 188 बटालियन है और ये लगभग 6350 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा करता है. ये दुर्गम रेगिस्तान नदी घाटियों और हिमाच्छादित प्रदेश है. इसके अलावा सीमा पर होने वाले अपराधों जैसे तस्करी, घुसपैठ और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकने का जिम्मेदारी भी इस पर है. ऐसे में समझा जा सकता है कि बीएसएफ का कितना महत्व हमारे देश की सुरक्षा में है.