झारखंड

jharkhand

ETV Bharat / city

कोरोना से बिगड़ा मिडिल क्लास का बजट, रोजगार के साथ रोजी-रोटी पर पड़ रहा असर

कोरोना वायरस तालाबंदी ने निरंतर मध्यम वर्ग में शामिल होने वाले लाखों लोगों की योजनाओं को उलट-पलट कर रख दिया है. ये समूह दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाली देश में आर्थिक विकास की योजनाओं का एक मुख्य हिस्सा रहा है. ऐसे में मध्यम वर्ग के जीवन की रफ्तार धीमी पड़ गई है. जिसका असर बाजार में भी देखने को मिल रहा है.

middle-class-budget-impaired
डिजाइन इमेज

By

Published : Oct 31, 2020, 6:40 PM IST

Updated : Oct 31, 2020, 8:02 PM IST

हजारीबाग: कोरोना महामारी का असर हर वर्ग पर पड़ा है. लेकिन मध्यम वर्ग के लोग इस महामारी से बुरी तरह से प्रभावित हो रहे हैं. मध्यम वर्ग के लोगों के पास न तो काफी दिनों तक खाने के लिए राशन है और न ही धनराशि. ऐसे में उनके बजट पर भी बुरा असर पड़ा है. खुद और अपने परिवार को सुरक्षित रखने के लिए मध्यम वर्ग के रसोई पर बुरा असर दिख रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कोरोना वायरस तालाबंदी ने निरंतर मध्यम वर्ग में शामिल होने वाले लाखों लोगों की योजनाओं को उलट-पलट कर रख दिया है. ये समूह दुनिया की दूसरी बड़ी आबादी वाली देश में आर्थिक विकास की योजनाओं का एक मुख्य हिस्सा रहा है. ऐसे में मध्यम वर्ग के जीवन की रफ्तार धीमी पड़ गई है. जिसका असर बाजार में भी देखने को मिल रहा है. ना ही बाजार में उमंग है और ना ही उत्साह. मध्यम वर्ग की महिलाओं का कहना है कि कोरोना के कारण हमारा जीवन पूर्ण रूप से प्रभावित हुआ है. सबसे अधिक असर हमारे रसोईघर में हुआ है. क्योंकि मध्यम वर्ग में कुछ सरकारी तो कुछ गैर सरकारी संस्था में काम करते हैं. हमारे परिवार के अधिकांश लोग गैर सरकारी संस्था में हैं.

ऐसे में उनके वेतन और उनके काम पर असर पड़ा है, जिसके कारण रसोई कि स्थिति डामाडोल हो गई है. यहां तक कि अब हम राशन में कटौती कर रहे है. ऐसे सामान खरीद रहे हैं जो हमारे इम्यून सिस्टम को दुरुस्त रखें. क्योंकि अगर बीमार पड़े तो इसका असर काफी दिनों तक हमारे बजट पर पड़ेगा. हजारीबाग के व्यवसाईयों का भी मानना है कि हाल के दिनों में इम्यून सिस्टम को और भी अधिक दुरुस्त करने के सामान की मांग में इजाफा हुआ है. जिसमें काजू, किसमिस, अखरोट, तुलसी और गिलोय से जुड़े सामान मुख्य है. ऐसे में हम लोग भी देख रहे हैं कि पहले राशन में कई ऐसे समान होते थे. जो अधिकांश लोग खरीदते थे लेकिन अब कुछ सामान में कटौती कर लोग ड्राई फ्रूट्स के आइटम जोड़ रहे हैं. ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि मध्यम वर्ग के पॉकेट पर कोरोना वायरस का असर सबसे अधिक देखने को मिला है.

ये भी पढ़ें-अनपढ़ महिलाओं की कंपनी ने किया 1 करोड़ का बिजनेस, हजारों महिलाओं को दिया रोजगार

दूसरी ओर अगर देखा जाए तो हजारीबाग जैसे छोटे शहर में सेनेटाइजर और मास्क की मांग कभी नहीं रही है. कई ऐसे दुकानदार हैं जो पहले कभी सेनेटाइजर और मास्क बेचे ही नहीं हैं. लेकिन अब व्यापार का आयाम भी बदला है, दुकान में सेनेटाइजर के साथ-साथ मास्क एक नया उत्पाद जुड़ा है. दुकानदार भी कहते हैं कि मास्क और सेनेटाइजर महंगा तो नहीं है लेकिन हर एक व्यक्ति की जरूरत का पहला यह उत्पाद बन गया है. हर एक व्यक्ति चाहता है कि खुद को सुरक्षित रखें. ऐसे में वह मास्क और सेनेटाइजर भी लेता है. जिसके कारण अतिरिक्त बोझ मध्यम वर्ग के ऊपर पड़ा है इसे नकारा नहीं जा सकता है. मध्यमवर्गीय ऐसा समूह है जो देश के विकास में अपनी अहम भूमिका निभाता है. सुबह से रात तक दो वक्त की रोटी और अपने परिवार को सुख सुविधा देने के लिए काम करता है. लेकिन कोरोना संक्रमण ने मध्यम वर्ग के रफ्तार को ही रोक दिया है. अब यह रफ्तार वैक्सीन आने के बाद ही जोर पकड़ लेगी. तब तक हर एक व्यक्ति को सावधान रहने की जरूरत है.

Last Updated : Oct 31, 2020, 8:02 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details