हजारीबाग: इन दोनों पूरे राज्य में मनरेगा योजना पूरे जोर-शोर से चलाया जा रहा है, ताकि मजदूरों को रोजगार मिल सके. ऐसे में मजदूर भी खेतों में खूब पसीना बहा रहे हैं. आलम यह है कि मेरू पंचायत में पिछले 20 साल से जो नाला बेकार पड़ा था, उसे मजदूरों ने फिर जीवित कर दिया है.
सिंचाई में भी उपयोगमेहनत अगर सही दिशा और लगन के साथ किया जाए तो सफलता भी कदम चूमती है. ऐसा ही कुछ हजारीबाग के मेरू में देखने को मिला. जहां कई मजदूर मनरेगा कार्य में लगाए गए थे. इनमें कई मजदूर प्रवासी भी हैं, तो कई स्थानीय. ऐसे में मजदूरों ने मनरेगा योजना के तहत ने 20 साल से मृत पड़े नाला में इतना कुदाल चलाया कि नाला अब लबालब पानी से भर गया है और किसानों के चेहरे भी खिल गए हैं. इनमें कई ऐसे मजदूर हैं जिनकी अपनी जमीन भी है. अब वे मजदूर खुश हैं कि उनके खेतों में इसी नाले का पानी सिंचाई के उपयोग में लाया जाएगा.
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मछली पालन भी कर सकते हैं
वहीं, कुछ मजदूर इसलिए खुश हैं कि अब इस नाले में मछली पालन भी किया जा सकता है. कहा जाए तो मजदूरों में जो उद्देश्य से मेहनत किया था वह धरातल पर उतर आया है. ऐसे में यहां के मजदूर काफी खुश हैं. मेरु पंचायत के पूर्व मुखिया भी कहते हैं कि वे लोग इस नाले के बारे में पिछले कई सालों से योजना बना रहे थे, लेकिन कोरोना महामारी के कारण सरकार ने जो योजना बनाई है वह आज सफल होती नजर आ रही है. इसका बेहतर परिणाम भविष्य में भी देखने को मिलेगा. जब यहां के किसान इसी नाले के पानी से खेती करेंगे.
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मिलेगा लाभ
यूं तो मनरेगा के तहत कई योजनाएं चलाईं जा रही हैं, लेकिन कुछ योजना ऐसी भी हैं जिसका सकारात्मक प्रभाव भविष्य में भी देखने को मिलेगा. मेरू पंचायत के उप मुखिया ने जिस तरह से मनरेगा मजदूरों की मदद नाला जीवित करने में लिया है, इसका लाभ भी इन्हीं मजदूरों को भविष्य में मिलेगा.