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हजारीबाग: कड़कनाथ मुर्गा बना बेरोजगारो का सहारा, प्रशासन भी कर रही है मदद

हजारीबाग में कड़कनाथ मुर्गा की भारी मांग है. बेरोजगार युवा इसे अपना व्यवसाय के रूप में विकसित कर रहे हैं. इस मुर्गा को काली मासी भी कहा जाता है क्योंकि इसका सब कुछ काला होता है और लोगों के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है. वहीं, यह मुर्गा एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है. ऐसे में प्रशासन भी मदद कर रही है.

Kadaknath cock
कड़कनाथ मुर्गा

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Published : Jan 11, 2020, 3:14 PM IST

हजारीबाग: जिले में इन दिनों कड़कनाथ मुर्गा का फार्म हाउस कई इलाकों में देखने को मिल रहा है. कड़कनाथ मुर्गा मुख्यतः पश्चिमी मध्यप्रदेश के झाबुआ और धार जिलों में पाया जाता है. इस मुर्गे में उच्च प्रोटीन, न्यून वसा पाया जाता है. इसमें कैस्ट्रॉल का स्तर भी कम होता है. इसकी मांग भी काफी ज्यादा है. वहीं इसकी कीमत काफी महंगा है. बता दें कि एक अंडा 50 रुपये में बिकता है तो वहीं मुर्गा 800 रुपये से लेकर हजार रुपया किलो तक.

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बेरोजगार युवकों के लिए है सबसे अच्छा विकल्प
युवक कड़कनाथ मुर्गा को अब अपना व्यवसाय के रूप में इस फॉर्म हाउस को विकसित कर रहे हैं. हजारीबाग के कदमा के रहने वाले विपिन ने नवाटाड गांव में कड़कनाथ मुर्गा का फार्महाउस खोला है. उसका कहना है कि यह बेरोजगार युवकों के लिए सबसे अच्छा विकल्प है. जहां युवक हर दिन हजारों रुपया सिर्फ अंडे से कमा सकते हैं. अगर मुर्गा बेचा जाए तो मुनाफा कई गुना बढ़ जाता है. उसका कहना है कि अत्यधिक औषधि गुण के कारण ग्राहक फॉर्म हाउस से ही कड़कनाथ मुर्गा और अंडा खरीदने आते हैं.

कड़कनाथ मुर्गा के कई फायदे
विशेष रूप से क्रॉनिकल रोग, रक्त की कमी ,अस्थमा, जोड़ों का दर्द, महिलाओं से जुड़ी बीमारी के मरीज के लिए अंडा खरीदा जाता है. जिसमें आयरन की मात्रा बहुत अधिक है. उन्होंने कहा कि इसमें बीमारी सहने की क्षमता बहुत होती है. कम दाना पानी और खाद्य से सफलतापूर्वक उत्पादन किया जा सकता है. इस कारण यह एक सफल व्यवसाय है. एक किलो मुर्गे का दाम 1000 रूपये तक मिलता है तो दूसरी ओर अंडे की कीमत 50 रूपये प्रति पीस है.

लजीज स्वाद के लिए जाना जाता है कड़कनाथ चिकन
ऐसे तो चिकन खाने के बहुत नफे नुकसान के बारे में हम लोगों ने सुना और पढ़ा है. लेकिन कड़कनाथ चिकन की ऐसी वैरायटी है जिसका मांस खाने से सबसे अधिक फायदा मिलता है. औषधीय गुण, कम फैट और अधिक याद रखने वाला लजीज स्वाद के लिए कड़कनाथ जाना जाता है. ठंड के दिनों में इसकी मांग बढ़ जाती है.

कड़कनाथ को काली मासी भी कहा जाता है
स्थानीय भाषा में कड़कनाथ को काली मासी भी कहते हैं क्योंकि इसका मांस, जुवान, टांग, चमड़ी सब कुछ काला होता है. कहते हैं कि दिल और डायबिटीज के लोगों के लिए कड़कनाथ बेहतरीन दवा है. इसमें विटामिन 1, विटामिन 2, विटामिन सी और विटामिन 12 भरपूर मात्रा में मिलता है. इतना ही नहीं इसका मांस खाने से आंखों की रोशनी भी बढ़ती है.

तीन प्रजाति के होते हैं कड़कनाथ मुर्गा
कड़कनाथ मुर्गे की तीन प्रजाति मुख्य रूप से पाई जाती है. पहला जेड ब्लैक इसके पंख पूरी तरह काले होते हैं. दूसरा पेंसिल इस मुर्गे का कार पेंसिल की तरह होता है. पेंसिल शेड मुर्गे पर पंख पर नजर आते हैं. तीसरा प्रजाति गोल्डन कड़कनाथ होता है इस मुर्गे के पंख पर गोल्डन सीट पाई जाती है.

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पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक भी शामिल
फायदा मंद व्यवसाय होने के कारण अब कड़कनाथ मुर्गे का फार्म हाउस पढ़े-लिखे बेरोजगार युवक भी कर रहे हैं ताकि वह आर्थिक रूप से सबल हो सके. कहा जाए तो कड़कनाथ मुर्गा एक बेहतर विकल्प के रूप में उभर रहा है. ऐसे में प्रशासन भी मदद कर रही है.

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