हजारीबाग: जिला को राज्य का दूसरा सबसे बड़ा कोयला भंडार के रूप में जाना जाता है. कोयला भंडार होने के कारण खनन आजीविका का मुख्य स्रोत है और राज्य की अर्थव्यवस्था में प्रमुख योगदान भी है. जिला खनिज फाउंडेशन राज्य सरकार की ओर से भारत के खनिज प्रभावित क्षेत्रों के लोगों को लाभ पहुंचाने के लिए एक सेटअप है.
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188 करोड़ रुपए पड़े होने के बाद भी विकास शून्य
2015 में केंद्र सरकार की ओर से विकास और विनियमन अधिनियम 1957 में एक संशोधन के माध्यम से इसे बनाया गया है. खनन क्षेत्रों से प्राप्त होने वाले रॉयल्टी का उपयोग विभिन्न विकास योजनाओं में किया जाता है. लेकिन अब आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि 188 करोड़ रुपए पड़े हुआ हैं लेकिन इसका उपयोग नहीं हो रहा है. डिस्टिक माइनिंग और मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट के तहत खर्च किए जाने वाले बजट को लेकर हजारीबाग में कोई योजना नहीं है. आलम यह है कि 188 करोड़ रुपए फंड में हैं लेकिन इसे किस योजना में उपयोग में लाया जाए इसे लेकर तैयारी नहीं है. इस बात को लेकर हजारीबाग सांसद बेहद सख्त नजर आ रहे हैं. उन्होंने बताया कि इतना बड़ा फंड होने के बावजूद इसका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसे में अब स्थानीय जनप्रतिनिधि और हजारीबाग की जनता इसे लेकर योजना बनाएं और प्रशासन को दें ताकि इसका सही उपयोग हो सके.
फंड के उपयोग पर अब भी सवाल
दरअसल इस फंड का उपयोग कई विकास योजनाओं में किया जाता है. खासकर खनन क्षेत्र में पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में इस फंड का उपयोग किया जाता है. हजारीबाग में हाल के दिनों में कई आंगनबाड़ी केंद्र इस फंड से बनाए गए हैं. इसके अलावा सोलर जल मीनार और उप स्वास्थ्य केंद्र भी तैयार किए गए हैं. हजारीबाग में विगत दिनों कोरोना काल के समय डिएमएफटी फंड से मेडिकल कॉलेज के लिए आईसीयू यूनिट तैयार किया गया था. अब 188 करोड़ रुपए का उपयोग कैसे किया जाए इसे लेकर तैयारी की जा रही है.