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हजारीबाग का शिकायत निवारण कोषांग निजाम पर रहता है निर्भर, जानें क्या है वजह - हजारीबाग का शिकायत निवारण कोषांग

हजारीबाग में शिकायत निवारण कोषांग बनाया गया है. जिसके तहत लोग अपनी समस्या के समाधान को लेकर कोषांग में जाते हैं. लेकिन इस कोषांग का लाभ तभी मिल पाता है जब जिले के पदाधिकारी सक्रिय रहते हैं.

grievance redressal cell depends on officer in hazaribag
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Published : Dec 25, 2020, 10:07 AM IST

हजारीबाग: राज्य में जनता के लिए शिकायत निवारण प्रणाली बनाया गया है. अगर किसी व्यक्ति को कोई समस्या है तो वह अपनी समस्या के समाधान के लिए कोषांग में जाते हैं. हजारीबाग में भी शिकायत निवारण कोषांग बनाया गया है. जिसका मुखिया जिला के उपायुक्त होते हैं. हजारीबाग में भी कई शिकायत आ रही है और उनका समाधान भी किया जाता है.

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क्या होता है शिकायत निवारण कोषांग
अफसरशाही के कारण कई बार आम जनता को तकलीफ का सामना करना पड़ता है. ऐसे में सरकार ने समस्या को दूर करने के लिए शिकायत निवारण प्रणाली बनाया है. जिसे जिले में शिकायत निवारण कोषांग कहा जाता है. मुख्यतः तीन जगह पर शिकायत की जाती है. जिले के उपायुक्त मंगल और शुक्रवार को जनता दरबार लगाकर आवेदन लेते हैं, वहीं किसी भी कार्य दिवस की समय उपायुक्त कार्यालय में अपनी शिकायत दर्ज कराया जा सकता है. इसके अलावा तिसरा मुख्यमंत्री सचिवालय में भी राजभर की जनता शिकायत दर्ज कराती है. फिर शिकायत संबंधित जिले को भेजा जाता है. कोषांग 24 घंटे के अंदर जांच और निष्पादन के लिए संबंधित विभाग को भेज देती है. 7 दिनों के अंदर मामला का निष्पादन किया जाता है.


कई मामलों का निष्पादन
साल 2020 में जनवरी से लेकर नवंबर तक 1,145 मामले आए हैं. जिनमें से 685 मामले का निष्पादन किया गया है. अभी भी 460 मामले लंबित हैं. उपायुक्त जनता दरबार में 441 कार्यालय दिवस पर 251 और मुख्यमंत्री सचिवालय में 453 शिकायत हजारीबाग जिले के पहुंचे हैं.

कारगर साबित हो रहा शिकायत निवारण कोषांग
शिकायत निवारण कोषांग के पदाधिकारी कहते हैं कि इस व्यवस्था का लाभ यह मिल रहा है कि जिस व्यक्ति को समस्या है उसे कार्यालय का चक्कर नहीं काटना पड़ता है और एक ही जगह में शिकायत करने के बाद उसके समस्या का समाधान हो जाता है. जब कोई व्यक्ति शिकायत करता है तो उसे एक नंबर दी जाती है और 7 दिनों के बाद जब वह कार्यालय पहुंचता है और अपना नंबर बताता है तो उसके शिकायत के समाधान की स्थिति की जानकारी दी जाती है. ऐसे में निसंदेह यह पोशाक कारगर साबित हो रहा है.


उपायुक्त पर निर्भर है शिकायत निवारण कोषांग
शिकायत निवारण कोषांग में कई बार मामला उठाने वाले समाजसेवी त्रिपुरारी सिंह बताते हैं कि यह कोषांग की स्थिति जिले के निजाम पर निर्भर करता है. अगर निजाम दक्ष और संवेदनशील है तो यह कोषांग सबसे बेहतर काम करता है. अगर पदाधिकारी शिथिल पड़े तो काम भी नहीं होता है. यह पूरा का पूरा सिस्टम जिले के उपायुक्त पर निर्भर करता है.

100 से अधिक मामला उठाने वाले समाजसेवी मनोज गुप्ता बताते हैं कि कई शिकायत इस कोषांग में किया है और उसका जवाब भी मिला है. लेकिन उनका यह भी कहना है कि सारे शिकायतों का समाधान उपायुक्त पर निर्भर करता है. अगर उपायुक्त अच्छे रहे तो शिकायत का समाधान भी होता है नहीं तो खानापूर्ति के रूप में यह कोषांग सबसे बेहतर है. उनका यह भी कहना है कि शिकायतकर्ता को हमेशा अपनी शिकायत पर लगे रहना भी पड़ता है.

पहली शिकायत
हजारीबाग के कुम्हार टोली में गांधी स्मारक के पास बड़े भू भाग को भूमाफिया हड़पने की कोशिश कर रहे थे. इस बात को लेकर मनोज गुप्ता ने शिकायत दर्ज कराया था. आज 10 साल के बाद उन्हें न्याय मिला है. उनका कहना है कि जिस व्यक्ति के नाम पर जमाबंदी खोला गया था उसे निरस्त कर दिया गया है और इस जमीन की गड़बड़ी में जो पदाधिकारी और कर्मी लगे हुए थे उनके खिलाफ राज्य सरकार ने कार्रवाई करने का आदेश दिया है. यह जन शिकायत कोषांग का ही परिणाम है. इस मामले को लेकर 3 बार कमेटी का भी गठन किया गया.

दूसरी शिकायत
हजारीबाग समेत पूरे राज्य भर में कई ऐसे सरकारी भवन बने हैं जिनका उपयोग नहीं हो रहा है. ऐसे में हजारीबाग के ही मनोज गुप्ता ने यह मामला जन शिकायत कोषांग में डाला था. आलम यह है कि यह मुद्दा विधानसभा में भी उठा और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मामले की जांच का आदेश दिया. जिसमें आदेश भी हुआ लेकिन निजाम बदल जाने के बाद यह मामला अब ठंडा बस्ता में चला गया. हजारीबाग में 100 से अधिक भवन चिन्हित किए गए थे जो बनकर तैयार है लेकिन उपयोग नहीं हो रहा है.

येलो और रेड पेज में नोटिस की व्यवस्था
हजारीबाग में यह भी व्यवस्था की गई थी कि अगर कोई व्यक्ति शिकायत करता है और उसे जवाब नहीं मिलता है तो निर्धारित समय में तो येलो और रेड पेज में नोटिस भेजा जाता था. संबंधित पदाधिकारियों को लेकिन अब यह परंपरा खत्म होती जा रही है. ऐसे में शिथिलता थी उत्पन्न हो सकती है.

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सरकार ने यह कोषांग का गठन बहुत ही संवेदनशीलता के साथ किया है लेकिन कोषांग तभी सक्रिय रहती है जब जिले के पदाधिकारी रहते हैं. ऐसे में जरूरत है जिला के पदाधिकारियों को सक्रिय रहने की ताकि आम जनता की शिकायत का समाधान हो सके.

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