हजारीबाग: मछली पालन आज के समय में एक बड़ा व्यापार बनता जा रहा है. ऐसे में मछली पालन करने का तरीका भी बदल रहा है. अब मछली पालन को लेकर एक नई तकनीक की शुरुआत की जा रही है, जिसे बायोफ्लॉक कहते हैं. ऐसे तो इस तकनीक को अब तक सरकार ने शुरुआत नहीं की है, लेकिन कई युवा इसे लेकर अब अपनी रुचि दिखा रहे हैं.
बायोफ्लॉक विधि से मछली पालन
हजारीबाग के युवाओं ने अपनी खाली पड़ी जमीन पर इस तकनीक से मछली पालन शुरू कर दिया है. वर्तमान समय में आठ पोंड तैयार किया गया है. भविष्य में 15 पौंड तक की तैयारी है. मछली व्यवसायी विस्मय अलंकार का कहना है कि एक बार लागत लगाने के बाद महज छह महीना में ही लागत पूंजी वसूल हो जाती है. इसके बाद शत प्रतिशत मुनाफा मिलता है. बायोफ्लॉक विधि से किए जाने वाले मछली उत्पादन से ना केवल लोगों को ताजी मछली खाने को मिलती है बल्कि इसका व्यवसाय भी मुनाफा देने वाला होता है. उनका मानना है कि एक बार व्यवस्था कर देने के बाद इसमें देखभाल की भी जरूरत कम पड़ती है. दूसरा काम करते हुए इस व्यवसाय को भी किया जा सकता है. इस विधि से साल में दो बार मछली उत्पादन होता है.