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मानसून के आते ही खेती में जुटे किसान, रोपाई का काम शुरू - Farmers engaged in farming in Hazaribag

मानसून के आते ही हजारीबाग में खेत-खलिहान में अलग रंगत छा गई है. किसानों के चेहरों पर भी खुशी की लहर है. किसान खेती में जुट गए हैं. उनका मानना है कि इस बार फसल भी अच्छी होगी.

Farmers engaged in farming
रोपाई करती महिलाएं

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Published : Jul 25, 2020, 12:32 PM IST

हजारीबाग: गांव में इन दिनों खेती झुम के हो रही है. अच्छे मानसून ने किसानों के चेहरे पर खुशी ला दी है. जहां एक ओर गांव में कोरोना संक्रमण से ग्रामीण के चेहरे मुरझाए हुए थे, ऐसे में अच्छे मानसून ने उनके मुरझाए चेहरे पर चमक ला दी है और गांव में नागपुरी गीत सुनने को मिल रहे हैं.

रोपाई करती महिलाएं

'माटी गुंदी ला रोपा रोपी ला' नागपुरी गीत अब खेतों में गूंजने लगी है. एक तरफ जहां कोरोना वायरस के चलते शहर में सन्नाटा पसरा है. वहीं अब गांव में महिलाएं रोपा के काम में व्यस्त हो गई हैं. ग्रामीणों को एक ओर चिंता है कि इस साल बारिश अच्छी हुई है इसका अधिक से अधिक लाभ उठाया जाएगा. ऐसे में किसान समय व्यतीत ना करते हुए खेती में जुटे हुए हैं.

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हजारीबाग के इचाक गांव की महिला किसान रंग-बिरंगे परिधान पहनकर खेतों में रोपाई कर रही हैं. जिससे आसपास का वातावरण भी पूरी तरह से गुंजायमान हो रहा है. झमाझम बारिश से धरती के अन्नदाता की खुशियां भी लौट आई है. बारिश ने जहां आम जनजीवन को भीषण गर्मी से राहत दी है. वहीं, गांवों में किसानों का भारतीय लोक गीतों के साथ धान रोपाई के काम में मशहूर हो गई हैं.

महिला किसान बताती हैं कि यह गीत वे लोग इंद्रदेव को प्रसन्न करने के लिए गाती हैं. ताकि उन्हें अधिक से अधिक फायदा मिले .साथ ही साथ महिलाओं यह भी कहती हैं कि यह गीत हम लोग इसलिए गाते हैं कि हमारा मन भी नहीं भटके और वे लोग अधिक से अधिक धान कम समय में लगा लें ताकि खेत धान से भर जाए और किसान पूरे साल अपने परिवार वालों के साथ-साथ देश को अन्न दे सके.

ये वही किसान हैं जो इस कोरोना काल में जिनकी रोजी-रोटी छीन गई तो 135 करोड़ लोगों को भोजन करवाया. हम भी धरती के अन्नदाता को शुभकामना देते हैं कि उनका खेत अन्न से भर जाए और देश अन्न के मामले में आत्मनिर्भर रहे.

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