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महादेव की मुहिम से लोगों को मिल रही जिंदगी, 7 अक्टूबर को लगता है पेड़ों के रक्षाबंधन का मेला - पर्यावरण को लेकर जागरूक

वर्तमान समय में सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वार्मिंग बनकर उभर रही है. जिसे लेकर पूरा विश्व चिंतित है, लेकिन हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के रहने वाले शिक्षक महादेव महतो ने 25 साल पहले ही ग्लोबल वार्मिंग का संकेत महसूस कर लिया था. महादेव महतो पिछले 25 सालों से लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक करने का लगातार आंदोलन चला रहे हैं.

पर्यावरण मेला

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Published : Oct 7, 2019, 9:19 PM IST

हजारीबाग: मैं अकेला ही चला था जानिब-ए-मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया. इस पंक्ति को चरितार्थ किया है हजारीबाग टाटीझरिया के एक शिक्षक महादेव महतो ने, जिसने पेड़ और पर्यावरण बचाने की मुहिम को अकेले शुरू किया और आज यह मुहिम जन आंदोलन बन चुका है. हजारीबाग से शुरू हुआ यह मुहिम पूरे देश भर में देखने को मिल रहा है.

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ग्लोबल वार्मिंग एक बड़ी समस्या
वर्तमान समय में सबसे बड़ी समस्या ग्लोबल वार्मिंग बनकर उभर रही है. जिसे लेकर पूरा विश्व चिंतित है, लेकिन हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के रहने वाले शिक्षक महादेव महतो ने 25 साल पहले ही ग्लोबल वार्मिंग का संकेत महसूस कर लिया था. महादेव महतो पिछले 25 सालों से लोगों को पर्यावरण को लेकर जागरूक करने का लगातार आंदोलन चला रहे हैं.

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महादेव महतो ने लोगों को किया जागरूक
हजारीबाग के टाटीझरिया प्रखंड के शिक्षक महादेव महतो ने लोगों को जागरूक किया कि अगर पेड़ नहीं रहेगा तो जीवन की भी कल्पना नहीं की जा सकती है. इसे देखते हुए उन्होंने दूधमटिया नाम के जगह पर आंदोलन शुरू की. उन्होंने हर एक वृक्ष पर रक्षा सूत्र बांधा. रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा पिछले 25 सालों से चलती आ रही है. जहां ग्रामीण और शहर के लोग पहुंचकर वृक्षों में रक्षा सूत्र बांधते हैं और कसम खाते हैं न हम वृक्ष काटेंगे और न काटने देंगे.

पर्यावरण मेला का आयोजन
हर साल 7 अक्टूबर को दूधमटिया में पर्यावरण मेला का आयोजन किया जाता है, जहां दूरदराज से लोग पहुंचकर वृक्षों पर रक्षा सूत्र बांधते हैं. महादेव महतो इन दिनों अस्वस्थ हैं, लेकिन उनके द्वारा चलाया गया मुहिम आज पूरे जोश के साथ दूधमटिया में देखने को मिल रहा है. उनके सहयोगी सुरेंद्र प्रताप सिंह भी कहते हैं कि वृक्ष बचाना हमारा धर्म है और इस धर्म को हम गांववासी निभाकर पूरे देश को संदेश दे रहे हैं.

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25 साल पहले हुई आंदोलन की शुरुआत
महादेव महतो का यह आंदोलन अब हजारीबाग से निकलकर पूरे राज्य में फैल चुका है. शायद महादेव महतो ने भी यह कल्पना नहीं की होगी कि उनका आंदोलन आज जन आंदोलन बन जाएगा. पर्यावरणविद भी कहते हैं कि निसंदेह महादेव महतो ने जो 25 साल पहले पर्यावरण को लेकर आंदोलन चलाया था आज वह मुकाम पर है, लेकिन लोगों को उनसे सीख लेने की जरूरत है. वे यह भी कहते हैं कि जो भी व्यक्ति इस मेले में आता है उसे अपने साथ एक संदेश भी लेकर जाना चाहिए कि वह अपने आसपास के वृक्षों का रक्षा करेगा और वृक्षों को काटने नहीं देगा.

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