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पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में वृद्धि का खेती पर असर, खाद-बिहन के दामों में भी हुई बढ़ोतरी

पेट्रोलियम पदार्थों (Petroleum Products) की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी का लोगों की जेब पर खासा असर पड़ रहा है. इन दिनों पेट्रोल और डीजल की बढ़ती कीमतों का सबसे अधिक असर किसानों पर पड़ रहा है, जिससे वो खासा परेशान हैं. किसानों को खेतों की जुताई में 1 एकड़ जमीन पर लगभग 4000 से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है.

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किसानों पर महंगाई की मार

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Published : Jul 29, 2021, 5:39 PM IST

हजारीबाग:देश में बढ़तीमहंगाई से जनता इन दिनों काफी परेशान हैं. वहीं दूसरी ओर बेतहाशा पेट्रोलियम पदार्थों (Petroleum Products) की कीमतों में लगातार हो रही बढ़ोतरी का लोगों की जेब पर खासा असर पड़ रहा है. बढ़ती महंगाई ने सबसे अधिक चिंता किसानों की बढ़ा दी है. पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हो रही वृद्धि से खेती पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

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पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में हर दिन इजाफा हो रहा है. कीमतों में लगातार बढ़ोतरी से किसान से लेकर मध्यमवर्गीय परिवारों का बजट बिगड़ गया है, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों में मूल्य बढ़ोतरी से इन दिनों सबसे अधिक परेशानी किसानों को हो रही है. किसानों का कहना है कि वह खेती के लिए ट्रैक्टर का उपयोग करते हैं, पहले एक घंटा की जुताई के लिए 600 रुपये देना पड़ता था, लेकिन अब एक घंटे का 1000 रुपये देना पड़ रहा है.

किसानों से बातचीत

खाद-बिहन और खेती के सामग्री की कीमतों में भी बढ़ोतरी

किसानों ने कहा कि खेतों की जुताई में 1 एकड़ जमीन पर लगभग 4000 से अधिक का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है, ऐसे में हम लोगों का बजट प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि पहले जहां खेती करने में औसतन 10000 रुपये खर्चा होता था, वह अब वह बढ़कर 12 से 13 हजार रुपये हो रहा है, सिर्फ डीजल की कीमत के कारण ही नहीं, बल्कि खाद और बिहन, खेती के सामग्री की कीमतों में भी बढ़ोतरी हुई है.

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मजदूरी में भी हुई बढ़ोतरी


किसान बताते हैं कि खेती के लिए हमलोग मजदूरों से भी काम करवाते हैं, पहले जहां मजदूरी 200 रुपये औसतन प्रतिदिन देना होता था, वह बढ़कर औसतन 250 रुपये हो गया है. उन्होंने कहा कि महंगाई के कारण मजदूरी बढ़ा दी गई है. बढ़ती महंगाई के कारण अच्छा मॉनसून होने के बावजूद किसानों के चेहरे खुशहाल नहीं है.

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