हजारीबाग: कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. इसके रोकथाम के लिए लॉकडाउन लागू किया था, जिसके कारण कई सेवाएं प्रभावित हुई. इस दौर में डॉक्टर डटकर इस वायरस का सामना कर रहे हैं और अपनी सेवा दे रहे हैं. दंत चिकित्सकों के सामने भी कई चुनौतियां हैं, जिसका वो वॉरियर्स के तरह सामना कर रहे हैं. हजारीबाग समेत पूरे राज्यभर में दंत चिकित्सक सावधानी बरतते हुए मरीजों का इलाज कर रहे हैं.
हजारीबाग: दंत चिकित्सक सावधानीपूर्वक कर रहे मरीजों का इलाज, ली जा रही मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी - हजारीबाग डेंटल कॉलेज में मरीजों को किया जा रहा जागरूक
हजारीबाग के डेंटल कॉलेज में दंत चिकित्सक मरीजों का इलाज बेहद सावधानी के साथ कर रहे हैं. इलाज से पहले डॉक्टर मरीजों का ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी लेते हैं, उसके बाद ही मरीजों का इलाज करते हैं. कोरोना काल को देखते हुए अस्पातल में भी कई तरह के परिवर्तन किए गए हैं.
![हजारीबाग: दंत चिकित्सक सावधानीपूर्वक कर रहे मरीजों का इलाज, ली जा रही मरीजों की ट्रेवल हिस्ट्री की जानकारी Doctors at Hazaribag Dental College are treating patients with caution](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/768-512-7518560-thumbnail-3x2-ss.jpg)
सावधानीपूर्वक डॉक्टर्स कर रहे इलाज
डॉक्टर अब दंत चिकित्सा करने के लिए भी पीपीई किट का उपयोग कर रहे हैं, साथ ही साथ खुद को कई बार सेनेटाइज भी कर रहे हैं. डॉक्टरों का कहना है कि अगर हम सावधानी नहीं बरतेंगे तो इसका असर सिर्फ हमारे ऊपर ही नहीं बल्कि पूरे अस्पताल और हमारे परिवार पर पड़ सकता है, इसलिए पूरी सावधानी और मरीजों के हिस्ट्री की जांच के बाद ही इलाज की जाती है. डॉक्टर बताते हैं कि आज के समय में सभी लोग मास्क का उपयोग कर रहे हैं, इसका एकमात्र कारण यह है कि जब कोई व्यक्ति खांसे या छिंके तो संक्रमीत ना हो. डॉक्टरों का कहना है कि वो दांत का इलाज करते समय अपने हाथ और टूल्स को मरीज के मुंह में डालते हैं इसलिए संक्रमण का खतरा बना रहता है. उन्होंने बताया की मरीजों के इलाज के समय कुछ फिट की दूरी बनाई जाती है.
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इलाज के समय डॉक्टर मरीजों से आरोग्य सेतु एप कि भी जानकारी लेते हैं. डॉक्टरों का कहना है कि ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण कई लोग इस एप के बारे में नहीं जानते हैं, वैसे लोगों को जागरूक भी किया जाता है, ताकि वो सुरक्षित रह सके. वहीं मरीज बताते हैं कि पहले ऐसी व्यवस्था नहीं थी, लेकिन कोरोना काल के दौरान अस्पताल में परिवर्तन देखने को मिला है, तीन तीन बार स्कैनिंग किया जाता है, इसके बाद इलाज शुरू की जाती है.