हजारीबाग: कोरोना वायरस को लेकर पूरे देश में लॉकडाउन लगा हुआ है. ऐसे में कई ऐसे मजदूर हैं, जो महानगरों में फंसे हुए हैं और वे अपने गांव आना चाहते हैं. घर आने के दौरान उन्हें कई राज्य की सरकारों ने सीमा पर ही रोक दिया है, जिसके कारण उनके परिजन भी परेशान हैं और लॉकडाउन में फंसे लोग भी. हजारीबाग के सुदूरवर्ती गांव बरही विधानसभा क्षेत्र के गोरिया कर्मा के कलाकार ने उनके दर्द को अपने गीत में संजोया है. इसके साथ ही उनके परिजनों को भी हौसला देने का काम किया है.
हमारे समाज में कई ऐसे लोग हैं, जिनमें प्रतिभा की कमी नहीं है, लेकिन उचित मंच नहीं मिलने के कारण उनकी प्रतिभा में निखार नहीं आ पाया और वह गुमनामी की जिंदगी में खो गए, लेकिन वर्तमान समय में सोशल साइट्स ऐसा प्लेटफॉर्म बनकर उभरा है, जिसके जरिए कलाकार खुद को पहचान दिलवाने में सफल हो रहे हैं. ऐसे में हजारीबाग के बरही का गोरिया कर्मा निवासी दिलीप वर्मा है, जो इन दिनों सोशल साइट्स पर काफी अधिक चर्चा पा रहे हैं. ये अपने गाने फेसबुक, व्हाट्सएप और युट्यूब के जरिए लोगों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं.
दिलीप वर्मा ने एक गाना वर्तमान परिदृश्य पर गाया है, जिसमें उसने बताया है कि किस तरह कोरोना वायरस के कारण सुदूर क्षेत्र में रहने वाले मजदूर और काम करने वाले लोग परेशान हैं. इस गाने में मजदूरों की दर्द को बयां किया है. गाने के माध्यम से वह बताते हैं कि अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपने घर द्वार छोड़ अन्य राज्य में रोजगार करने गए थे, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडॉउन के बाद उसकी हालत खराब हो गई है और वह भूख प्यास से तड़प रहा है. इस गाने का बोल है 'हम ना रहबो ए धानी बंबई शहारा कैसे घरा, बंद भयले साउसे झारखंड के डहरा कैसे आईयो घरा, यही सोची लोरीया गिरोहाय हरा हरा, हम नाइ रहबो शहरा, कईसन बीमारी आईलव कोरोना वायरस, राशन पानी खत्म भेलव, खत्म भेल गैस भूल गई, मोदी जी बंद करीदेलो सब रेल गे'