हजारीबाग: नगर निगम अपने बोर्ड बैठक में लिए गए फैसले को आपसी मतभेद की वजह से धरातल पर उतार नहीं पा रहा है. जनप्रतिनिधि और कार्यपालक पदाधिकारियों के बीच तनातनी की वजह से अब आम जनता को परेशानी झेलनी पड़ रही है.
वीडियो में देखें पूरी खबर हजारीबाग नगर निगम अस्तित्व में आने के बाद 23 मई 2018 को पहली बोर्ड की बैठक हुई, जिसमें जिले की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए कई फैसले लिए गए. नगर निगम ने खासकर पेयजल समस्या से लोगों को राहत देने के लिए हर वार्ड में 5 बोरिंग करने की व्यवस्था की. जिसे बाद में घटाकर हर वार्ड में 4 बोरिंग और चापाकल लगाने की बात पर सहमति बनी. हालांकि 1 साल से अधिक का समय बीत गया और चापाकल लगाने के लिए टेंडर तक नहीं हुए.
इस बीच 2 गर्मी भी पार हो गई, लेकिन अधिकारियों के चेहरे पर किसी तरह की शिकन नहीं दिखी. बीती 30 मई 2019 को टेंडर किया गया, जिसको 10 जून 2019 तक डालना था. इसकी 13 जून 2019 तक हार्ड कॉपी निगम में जमा करनी थी, लेकिन एक बार फिर टेंडर रद्द कर दिया गया और यह समय सीमा बढ़ती चली गई.
मामले को लेकर मेयर रोशनी तिर्की का कहना है कि इस नगर निगम का कुछ भी नहीं हो सकता है. सब भगवान भरोसे है और अधिकारियों की लापरवाही के कारण टेंडर भी नहीं हो रहे हैं. इसका खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है. उनका कहना है कि निगम मे फंड की कमी निगम नहीं है, लेकिन कार्यपालक पदाधिकारी विकास कार्य में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं और योजना धरातल पर नहीं उतर पा रही है.