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हजारीबाग में लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे मोहम्मद खालिद, अफवाहों से थे परेशान

समाजसेवी मोहम्मद खालिद को हजारीबाग में लोग लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले के रूप में जानते हैं. लेकिन अब उन्होंने फैसला लिया है कि हजारीबाग में शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. ऐसा फैसला लेने के पीछे की वजह सोशल मीडिया पर चल रही भ्रामक बातें हैं.

talk with mohammad khalid
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Published : Jan 24, 2022, 10:30 AM IST

Updated : Jan 24, 2022, 10:50 AM IST

हजारीबागः लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करने वाले मोहम्मद खालिद अब लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. यही नहीं अगर किसी मरीज की मौत संक्रमण से होगी तो उसका भी अंतिम संस्कार अब मोहम्मद खालिद और उनकी टीम नहीं करेगी. इस बाबत उन्होंने जिला प्रशासन को पत्राचार भी कर दिया है. इसके पीछे क्या कारण है, देखते हैं इस रिपोर्ट के जरिए.

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समाजसेवी मोहम्मद खालिद एक ऐसा नाम जो किसी परिचय का मोहताज नहीं है. जिन्होंने लावारिस लाशों के साथ अपना संबंध स्थापित किया और उनका अंतिम संस्कार किया. सिर्फ हजारीबाग में ही नहीं राजधानी रांची तक जाकर उन्होंने अंतिम संस्कार किया है. लगभग 1000 से अधिक लावारिस लाशों का उन्होंने विधि विधान के साथ अंतिम संस्कार किया है. जब रिम्स में दर्जनों लावारिस शव पड़े हुए थे और उस दौरान भी उन्होंने कदम बढ़ाते हुए उन शवों का भी सामूहिक रूप से अंतिम संस्कार किया. अगर हजारीबाग में किसी भी जगह लावारिस लाश दिखती तो खालिद उसे अपनी गाड़ी से पोस्टमार्टम हाउस तक पहुंचाते. अगर किसी ने आत्महत्या कर ली तो पुलिस भी उन्हीं से संपर्क करती थी. लेकिन अब खालिद हजारीबाग में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. यही नहीं शव को उठाएंगे भी नहीं और ना ही वैसे मरीज जिसकी मौत संक्रमण से होगी उसका अंतिम संस्कार करेंगे.

दरअसल उनका कहना है कि हाल के दिनों में सोशल मीडिया में कई भ्रामक बातें सामने आ रही थी. जिससे उन्हें काफी पीड़ा हो रही थी. लोग यह भी कह रहे थे कि पैसा के लालच में यह लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करते हैं. वहीं एक अन्य समाजसेवी भी इन दिनों हजारीबाग में लावारिस शव का अंतिम संस्कार करने के लिए आगे आये हैं. ऐसे में कई तरह की भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो जा रही थी. इसे देखते हुए हमने यह फैसला लिया है. उनका यह भी कहना कि हजारीबाग में शव के साथ ही अब राजनीति हो रही है. ऐसे में अपना मान सम्मान बचाना भी जरूरी है. यह भी एक बड़ा कारण है कि मैंने बड़े ही भारी मन से यह फैसला लिया है.

जानकारी देते संवाददाता गौरव प्रकाश
मोहम्मद खालिद और तापस चक्रवर्ती दो दोस्त हैं. जिन्होंने लगभग 15 साल पहले लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने का मन बनाया. इसके बाद यह सिलसिला शुरू हुआ. जहां भी लावारिस शव मिलता उसे पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाया जाता और बाद में अंतिम संस्कार किया जाता. यही नहीं अस्थियां भी बनारस में विसर्जित की जाती थी. इस काम को करने के लिए समाज के कई लोग भी सामने आए. कुछ लोगों ने कफन के लिए कपड़ा दिया तो कुछ लोगों ने लकड़ी. वहीं कुछ लोगों ने गाड़ी तक दान कर दिया. जिससे शव लाया जा सके. भूतनाथ मंडली के द्वारा इन्हें लकड़ी भी मुहैया कराई जाती थी. धीरे-धीरे इनका नाम भी समाज में होने लगा. प्रशासन भी इनसे मदद लिया करती थी. मोहम्मद खालिद ने जिला प्रशासन को पत्राचार कर जानकारी भी दे दी है कि अब वह हजारीबाग में लावारिस शवों का अंतिम संस्कार नहीं करेंगे. ऐसे में रांची के कुछ समाजसेवी के द्वारा इन्हें संपर्क भी किया गया है. उन्होंने फैसला लिया है कि रांची में जाकर अपनी सेवा देंगे. उनका कहना है कि मैंने खुद के साथ एक कमिटमेंट किया है कि जब तक जिंदा रहूंगा लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करता रहूंगा. इस कारण मैं अब रांची जा रहा हूं. लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि हजारीबाग के लोग अगर रांची में कभी परेशान हो या उन्हें मदद की जरूरत हो तो वह हमसे बात करें, जहां तक हो सके मदद के लिए मै तैयार रहूंगा.
Last Updated : Jan 24, 2022, 10:50 AM IST

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