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डर के साए के बीच हजारीबाग से राहत की खबर, घट रहा संक्रमण-बढ़ रहा रिकवरी रेट - Corona recovery in Hazaribagh

संक्रमण के इस दौर में हर एक व्यक्ति अंदर से भयभीत है. आलम यह है कि सड़क पर भी लोग नहीं निकल रहे हैं. बच्चे ना जाने कितने दिनों से खेल के मैदान में भी नहीं दिखे हैं. ऐसे में अच्छी खबर लोगों को उत्साह से भर देती है. हजारीबाग के लिए यह अच्छी खबर है कि संक्रमण की रफ्तार यहां धीमी हुई है. वहीं, रिकवरी रेट भी बढ़ा है.

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डर के साए के बीच हजारीबाग में राहत की खबर

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Published : May 19, 2021, 2:27 PM IST

हजारीबाग: इस महामारी के दौर में अच्छी खबर के लिए कान भी तरस गए हैं. ऐसे में हजारीबाग के लोगों के लिए अच्छी खबर है कि यहां संक्रमण की रफ्तार धीमी हुई है और रिकवरी रेट का तेजी से आगे बढ़ा है. वहीं, मौत के ग्राफ में भी भारी गिरावट दर्ज की गई है.

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संक्रमण के इस दौर में हर एक व्यक्ति अंदर से भयभीत है. आलम यह है कि सड़क पर भी लोग नहीं निकल रहे हैं. बच्चे ना जाने कितने दिनों से खेल के मैदान में भी नहीं दिखे हैं. ऐसे में अच्छी खबर लोगों को उत्साह भी देती है. हजारीबाग के लिए यह अच्छी खबर है कि संक्रमण की रफ्तार यहां धीमी हुई है. वहीं, रिकवरी रेट भी बढ़ा है. वर्तमान समय में 85 फीसदी से ऊपर रिकवरी रेट बताया जा रहा है. डॉक्टर भी रिकवरी को लेकर काफी खुश हैं कि हजारीबाग में लोग जल्दी स्वस्थ हो रहे हैं. वहीं, वर्तमान समय में 2,108 संक्रमित मरीज हैं. सोमवार को 215 नए पॉजिटिव मामले प्रकाश में आए हैं. वहीं, मौत का ग्राफ भी गिरा है.

हजारीबाग में इन दिनों गरीब असहाय लोगों को घूम घूमकर भोजन कराने वाली युवा महिला अधिवक्ता मोनालिसा भी बताती हैं कि वो लोग जब पहले घूमते थे तो संक्रमित मरीजों की संख्या अधिक दिखती थी. दिन भर एंबुलेंस की आवाज सुनने को मिलती थी. इधर, 3 दिनों से थोड़ा शहर शांत हुआ है. संक्रमण की रफ्तार घटी है. लोगोंं के अंदर जो भय था वह कम हो रहा है, लेकिन उनका यह भी कहना है कि गांव की स्थिति थोड़ी गड़बड़ है. जरूरत है गांव के लोगों को जागरूक करने की. क्योंकि वहां के लोग ना तो टेस्ट कराते हैं और ना ही अपनी समस्या बताते हैं. इस कारण अब प्रशासन को गांव की ओर अधिक ध्यान देने की जरूरत है.
ग्रामीण क्षेत्रों पर ध्यान देने की जरूरत

हजारीबाग सदर विधायक जो इन दिनों कोरोना वारियर्स के रूप में देखे जा रहे हैं. पहले उन्होंने ऑक्सीजन सिलेंडर संक्रमित मरीजों को उपलब्ध कराया. इसके बाद मेडिसिन किट उपलब्ध करा रहे हैं. अब वह मास्क के बाद सूखा राशन गरीबों के घरों तक पहुंचाने की योजना बना रहे हैं. ऐसे में उनका भी कहना है कि वो दिन भर में पहले 500 से कम फोन कॉल रिसीव नहीं करते थे, लेकिन अब नंबर घटे हैं. ऑक्सीजन सिलेंडर लेने वालों की भी संख्या घटी है. हालांकि उनका भी कहना है कि लोगों को अब ग्रामीण क्षेत्रों में फोकस करने की जरूरत है.

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