हजारीबागः आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाएगा. राज्य में पहली बार आंगनबाड़ी स्कूल में पढ़ने वाले छात्रों को सिलेबस आधारित पढ़ाई कराई जाएगी. इसे लेकर पूरे राज्य भर में व्यापक तैयारी की जा रही है. कोरोना काल में स्थितियां सामान्य होने और राज्य सरकार की इजाजत देने पर इस साल शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से यह संचालित भी कर लिया जाएगा. इस बाबत ट्रेनिंग कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है.
आंगनबाड़ी स्कूल के बारे में यही सोचा जाता था कि यहां बच्चे सिर्फ टाइम पास करने के लिए पहुंचते हैं. अब यह बात गलत साबित होने जा रही है. 1975 से आंगनबाड़ी स्कूल संचालित है. यहां कोई सिलेबस नहीं था, इस कारण सेविका जैसे-तैसे अपने अनुसार बच्चों को पढ़ाया करती थीं. अब सेविकाएं एक निश्चित पाठ्यक्रम के अनुसार बच्चों को शिक्षा देंगी. यह व्यवस्था समाज कल्याण विभाग इस बाबत पूरी तैयारी भी कर ली है. यहां तक कि आंगनबाड़ी केंद्रों को सजाया संवारा भी जा रहा है ताकि बच्चे आकर्षित होकर स्कूल पहुंचे और यहां शिक्षा ग्रहण करें.
प्रमंडलीय स्तरीय ट्रेनिंग कार्यक्रम
हजारीबाग में इस बाबत प्रमंडलीय स्तरीय ट्रेनिंग कार्यक्रम का आयोजन भी किया जा रहा है. जिसमें हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा जिला से ट्रेनिंग पाने के लिए महिलाएं पहुंची हैं. कोर्स के बारे में बताया जा रहा है कि सिलेबस 12 महीने में विभाजित है. 12 महीने का अलग-अलग थीम बनाया गया है, प्रत्येक महीने के लिए अलग थीम है. फिर हर महीने को चार अलग-अलग भागों में बांटा गया है. जैसे अगर फल के बारे में बच्चों को बताना है तो एक सप्ताह तक फलों के बारे में जानकारी दी जाएगी. आसपास जो फल मिलते हैं उनका उन्हें व्यावहारिक ज्ञान के साथ-साथ उस फल की खासियत भी बताई जाएगी. ट्रेनिंग देने वालीं मास्टर ट्रेनर कहती हैं कि प्रत्येक दिन का भी अलग-अलग थीम हम लोगों ने बनाया है. इसका लाभ आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले बच्चों को मिलेगा.
सिलेबस के आधार पर पढ़ाई
ट्रेनिंग लेने आईं प्रवेशिका बताती हैं कि आज के समय में आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चे कम पहुंच रहे हैं और कई प्ले स्कूल खुल गए हैं. अगर आंगनबाड़ी में अच्छे तरीके से बच्चों को सिलेबस के अनुसार पढ़ाया जाएगा तो छात्रों की संख्या भी बढ़ेगी और गरीब तबके के बच्चों को अच्छा वातावरण मिलेगा. ट्रेडिंग पाने वाली प्रवेशिका ने यह विश्वास दिलाया है कि आने वाले समय में सुनियोजित तरीके से बच्चों को पढ़ाने के लिए हम लोगों को ट्रेनिंग दिया जा रहा है. हम लोग अब अपने अपने क्षेत्र में जाकर सेविकाओं को इसकी जानकारी देंगे, ताकि अच्छा परिणाम सामने आ सके.
बच्चों का होगा मानसिक-बौद्धिक विकास
महिला पर्यवेक्षिका का कहना है कि बच्चे कम उम्र में बहुत ही संवेदनशील होते हैं. अगर उन्हें अच्छा बौद्धिक, मानसिक और शारीरिक ढंग से तैयार किया जाए तो आने वाले समय में यह बच्चे देश निर्माण में योगदान निभाएंगे. जिस तरह से जब पेड़ लगाए जाता है तो उसके लगाने के समय ही हम लोग खाद उर्वरक पानी देते हैं. तब पेड़ समय पर फूल और फल देता है. ठीक वैसे ही यह बच्चे होते हैं.
आंगनबाड़ी स्कूल को प्री-नर्सरी स्कूल का दर्जा