हजारीबाग: लोकतंत्र के महापर्व में जब आम नागरिक बढ़ चढ़कर हिस्सा लें तो पर्व सफल माना जाता है. झारखंड में गांव की सरकार बनाने की तैयारी चल रही है. जिसमें बड़ी संख्या में ग्रामीण हिस्सा भी ले रहे हैं. पिछले चुनाव की तुलना की जाए तो इस वर्ष उम्मीदवारों की संख्या में भी वृद्धि हुई है. आखिर संख्या में बढ़ोतरी क्यों हुई है तो इसके पीछे का एक सामान्य सा जवाब है समाज सेवा, लेकिन ये समाज सेवा कैसे की जाए इसका कोई जवाब नहीं है.
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इन दिनों झारखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर उत्साह देखने को मिल रहा है. प्रत्याशी पूरे दमखम के साथ अपने समर्थकों को लेकर नामांकन करने के लिए भी पहुंच रहे हैं. पिछले पंचायत चुनाव की तुलना में इस बार उम्मीदवारों की संख्या अधिक दिख रही है. ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि आखिर क्यों ज्यादा संख्या में उम्मीदवार चुनाव में जाने के लिए तैयार हैं. उम्मीदवारों से जब ये सवाल पूछा गया तो कि आप क्यों चुनाव लड़ना चाहते हैं तो एक ही जवाब सामने आया समाज सेवा.
दारू प्रखंड से जिला परिषद पद पर सुश्रीमती कुमारी चुनाव लड़ रही हैं. ये कहती हैं कि वे भ्रष्टाचार, बेरोजगारी दूर करेंगे और सरकारी योजनाओं को धरातल पर लाएंगी. उन्होंने ये भी कहा कि समाज सेवा करने के लिए पद तो चाहिए ही. विष्णुगढ़ पश्चिमी से रीता देवी भी चुनावी मैदान में हैं उनका कहना है कि जो काम पूरा नहीं हुआ है वह उसे वे करेंगी. लेकिन कौन सा पूरा काम करेंगी यह उन्हें नहीं पता.
सुमित्रा देवी इचाक से जिला परिषद चुनाव लड़ रहीं हैं. उनका भी उद्देश्य समाज सेवा. 60 वर्षीय सुमित्रा देवी कहती है कि वे पिछले कई सालों से समाजसेवा कर रही हैं इस कारण चुनाव में उतरी हैं. आदर्श पंचायत जरबा से शमशेर आलम भी चुनावी दंगल में हैं. इन्होंने पंचायत समिति सदस्य के लिए नामांकन किया है, ये भी समाज सेवा करना चाहते हैं ये भी कहते हैं बिना पद के समाज सेवा नहीं हो सकता.
उम्मीदवारों का चुनाव में जाने का एकमात्र उद्देश्य समाज सेवा है. हालांकि वे कैसे समाज सेवा करेंगे इसकी रूपरेखा उनके पास नहीं है. शायद यही कमी पंचायत चुनाव में देखने को मिल रहा है, शायद यही वजह है कि जब महिला उम्मीदवार चुनाव जीत जाती हैं तो उनके पति प्रतिनिधि बन जाते हैं.