हजारीबागः बड़कागांव की धरती रत्नगर्भा के रूप में पूरे सूबे में जानी जाती है. इस रतनगर्भा में आज एक और रत्न जुटा है जिसका नाम है 'आकांक्षा'. अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह महारत्न कम्पनी कोल इंडिया लिमिटेड में दूसरी महिला खनन इंजीनियर और भूमिगत कोयला खदान में काम करने वाली पहली महिला हैं.
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ऊंची उड़ानः हजारीबाग की 'आकांक्षा' बनीं भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर - सीसीएल की खबर
महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं. जमीन से लेकर आसमान तक अपना परचम लहरा रही हैं. हजारीबाग की आकांक्षा ने एकबार फिर साबित कर दिया है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं. वो भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला माइनिंग इंजीनियर हैं.
हजारीबाग के बड़कागांव की रहने वाली आकांक्षा कुमारी ने आज इतिहास लिख दिया है. वो सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड की उत्तरी कर्णपुरा क्षेत्र के चूरी में भूमिगत खदान में काम करने वाली देश की पहली महिला इंजीनियर बनी है. नारी शक्ति ने आज यह बता दिया कि वह सिर्फ घर की बागडोर नहीं संभाल सकती है, बल्कि राफेल उड़ाने से लेकर ओलंपिक में पदक जीतने से लेकर भूमिगत कोयला भी निकाल सकती है. आकांक्षा सीसीएल के 4 दशक के इतिहास में पहली बार महिला माइनिंग इंजीनियर के रूप में योगदान देने वाली कर्मी बनी है. जिसने मंगलवार को नॉर्थ कर्णपुरा क्षेत्र के चूरी भूमिगत खदान में ड्यूटी ज्वाइन की है. जिसने आज भ्रांति तोड़ दी है कि पुरुष ही सिर्फ माइनिंग में अपनी सेवा दे सकते हैं.