हजारीबाग: जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र केरेडारी का नीरी गांव मूलभूत सुविधा से कोसों दूर है. इस गांव में आने के लिए नदी, नाला और जंगल पार करना पड़ता है. आलम यह है कि सरकारी सुविधा के नाम पर इस गांव में मात्र एक उत्क्रमित विद्यालय है. अगर कोई व्यक्ति बीमार पड़ा तो खाट एंबुलेंस ही एकमात्र उपाय है. लोग खटिया पर मरीज को लादकर मुख्य सड़क पर पहुंचते हैं और वहां से फिर गाड़ी से हजारीबाग या फिर केरेडारी अस्पताल पहुंचते हैं. ऐसे में यह क्षेत्र में अब तक विकास की किरण नहीं पहुंची है.
नक्सल प्रभावित क्षेत्र
बता दें कि बूथ होने के बाद भी यहां के लोग अपने गांव में मतदान नहीं करते हैं, क्योंकि बूथ संख्या-79 को दूसरे गांव में चुनाव के वक्त शिफ्ट कर दिया जाता है, क्योंकि यह नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. इस गांव में लगभग 450 से 500 लोग रहते हैं. अगर वोटरों की बात की जाए तो कुल 180 मतदाता हैं. जिनमें 101 पुरुष और 79 महिलाएं शामिल हैं. ग्रामीण कहते गांव से 12 किलोमीटर दूर होने के कारण लोग मतदान करने में असमर्थ हो जाते हैं.पुरुष तो मतदान करने चले भी जाते हैं, लेकिन घर की महिलाएं, बुजुर्ग बूथ तक नहीं पहुंच पाते.
ये भी पढ़ें- बीजेपी के दिग्गज कड़िया मुंडा के बेटे ने झामुमो का थामा दामन, बीजेपी के खिलाफ खूंटी में करेंगे प्रचार