गिरिडीह: झारखंड-बिहार की सीमा पर स्थित है तिसरी प्रखंड का असुरहड्डी गांव. आदिवासी और दलित बहुल्य वाला यह गांव कीमती पत्थरों के लिए मशहूर है. जिला मुख्यालय से लगभग 90-95 किमी दूरी पर स्थित इस गांव के लोगों की अलग ही व्यथा है. इस गांव में बिजली तो पहुंच गई लेकिन पानी, सड़क और शिक्षा जैसी सुविधाओं के लिए यहां के लोगों को तरसना पड़ रहा है.
पहाड़ी से उतरकर नाले में पहुंचते हैं ग्रामीण
इस गांव की सबसे बड़ी समस्या पेयजल है. गांव में सालोंभर पानी की परेशानी रहती है. गांव में लगे सभी चापानल खराब है. ऐसे में लोगों को पहाड़ियों से उतरकर गांव के पास से गुजर रहे नाले के पास पहुंचना पड़ता है और इस नाले में चुवां (छोटा गड्ढा) खोदकर पानी निकालना पड़ता है. फिर इसी पानी को लोग बर्तन में भरकर वापस काफी ऊंचाई चढ़ते हुए गांव जाते हैं. बड़ी बात है कि इसी नाले में मवेशी भी पानी पीते हैं. ग्रामीण बताते हैं कि सर्दियों और बसंत ऋतु में तो नाले का पानी से काम चल जाता है, लेकिन बारिश और गर्मी में काफी परेशानी होती है. बारिश में नाले का जलस्तर बढ़ जाता है तो लोग चुवां भी नहीं खोद पाते हैं. जबकि गर्मियों में नाला सुख जाता है. परिणामस्वरूप पानी के लिए चार-पांच किमी की दूरी तय करनी पड़ती है.
ये भी पढ़ें-नौवीं की वार्षिक परीक्षा आज से शुरू, 4.22 परीक्षार्थी दे रहे हैं एग्जाम